जम्मू-कश्मीर में फिलहाल राज्यपाल का शासन है. इस दौरान राज्य सरकार की ओर से एक विवादित फैसला लिया गया और बाद में इस फैसले पर आपत्ति के बाद इसे वापस ले लिया गया. जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों को अपने पुस्तकालयों के लिए भगवद्गीता और रामायण की प्रतियां खरीदने के आदेश दिया गया था जिसे मंगलवार को वापस ले लिया है. राज्य के मुख्य सचिव द्वारा इस आशय का आदेश जारी किया गया था. शिक्षा विभाग द्वारा कुछ धार्मिक किताबों को पुस्तकालयों के लिए खरीदे जाने संबंधी सर्कुलर को अब सरकार ने वापस ले लिया है.
बता दें कि शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी कर भगवद्गीता और रामायण की प्रतियां खरीदने के आदेश को सोमवार को सार्वजनिक किया था. इस आदेश के सार्वजनिक होने के बाद इस फैसले की काफी आलोचना हुई. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉफ्रेंस के अध्यश्र उमर अब्दुल्ला ने स्कूलों, कॉलेजों और पुस्तकालयों में धार्मिक किताबें रखने के औचित्य पर ही सवाल उठाया. अब्दुल्ला ने अपनी नाराजगी एक ट्वीट कर साझा की. इस ट्वीट में उन्होंने कहा था कि यह ऑर्डर एक विशेष धर्म की धार्मिक किताब को लेकर दिया गया है. अन्य धर्मों की उपेक्षा की गई है. पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस फैसले की आलोचना करते हुए सोमवार को ट्वीट कर कहा कि सिर्फ गीता और रामायण ही क्यों? यदि धार्मिक किताबों को स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी पुस्तकालयों में रखा जाना है तो इन्हें केवल एक धर्म के आधार पर क्यों चुना जा रहा है? बाकी के धर्मों को नजरअंदाज क्यों किया जा रहा है?
Why just the Gita & Ramayana? If religious texts are to be placed in schools, collages & government libraries (and I’m not convinced that they need/should be) then why is it being done selectively? Why are other religions being ignored? pic.twitter.com/UqxMG0NpMJ
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 22, 2018
उमर अब्दुल्ला ने जो ट्वीट साझा किया उसमें उन्होंने सरकार के आदेश को भी साझा किया. इस ट्वीट में संलग्न आदेश की प्रति के अनुसार जम्मू-कश्मीर सरकार ने अपने आदेश में कहा था, विद्यालय शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा विभाग, कॉलेज डॉयरेक्टर, लाइब्रेरी डॉयरेक्टर ओर संस्कृति विभाग श्रीमद्भागवत गीता और रामायण की उर्दू संस्करण की प्रतियां, जिसे श्री सरवानंद प्रेमी द्वारा लिखा गया है, पर्याप्त संख्या में खरीदने पर विचार करें ताकि इसे सभी विद्यालय, कॉलेज, सार्वजनिक लाइब्रेरी में उपलब्ध करवाया जा सके. इस आदेश पर स्कूल शिक्षा विभाग के एक सचिव का हस्ताक्षर पढ़ा जा सकता है. आदेश के अनुसार, धार्मिक पुस्तक खरीदने का निर्णय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के सलाहकार बीबी व्यास की अध्यक्षता में 4 अक्टूबर को हुई बैठक में लिया गया था.