जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा हालात का जायज़ा लेने के लिए राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satya Pal Malik) ने राज भवन में पुनरीक्षण बैठक (रिव्यू बैठक) बुलाई थी. इस मौक़े पर राज्यपाल ने पुलवामा में सात नागरिकों की मौत को लेकर दुख ज़ाहिर किया. बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ अधिकारी और केंद्रीय पुलिस बल भी मौजूद थी. बता दें कि शनिवार को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में एक मुठभेड़ स्थल पर घुसने का प्रयास करने वाली उग्र भीड़ पर सुरक्षाबलों ने कथित रूप से गोलियां चला दीं जिसमें सात आम नागरिकों की मौत हो गई. इस मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए और सेना का एक जवान शहीद हो गया.
J&K Governor Satya Pal Malik chaired review meeting of security-related issues at Raj Bhavan in Jammu today & expressed grief over the loss of 7 civilian lives following an encounter in Pulwama today. Senior officers of J&K and Central Police Forces were present in the meeting pic.twitter.com/BbSvB0BjBi
— ANI (@ANI) December 15, 2018
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह घटना सिर्नू गांव में उस वक्त हुई जब सुरक्षाबलों ने सेना से भागे हुए जहूर अहमद ठोकर समेत तीन आतंकवादियों की मौजूदगी की खुफिया खबरों के आधार पर इलाके की घेराबंदी कर दी.
अधिकारियों ने बताया कि गोलीबारी के बाद कई आम नागरिक घायल हो गये जो बाद में मुठभेड़ में तब्दील हो गयी.
कश्मीर में राजनीतिक दलों ने इस घटना की निंदा की है और कहा है कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक के नेतृत्व वाला प्रशासन आम लोगों की सुरक्षा में 'नाकाम' है. घटना के बाद बढ़ते तनाव को देखते हुए अधिकारियों ने श्रीनगर सहित कश्मीर के अधिकतर इलाकों में इंटरनेट सेवा बंद कर दिया.
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जैसे ही ठोकर के मुठभेड़ में फंसे होने की खबर फैली, लोगों ने मुठभेड़ स्थल पर एकत्र शुरू कर दिया. ठोकेर इसी गांव का रहने वाला था.
उन्होंने बताया कि लोगों को चेतावनी देने के लिए हवा में गोलियां भी चलाई गईं लेकिन उससे भी उग्र भीड़ नहीं रुकी जिससे सुरक्षाबलों को उन पर गोलियां चलानी पड़ीं.
अधिकारियों ने बताया कि तीन आतंकवादियों के मारे जाने के साथ ही मुठभेड़ तो 25 मिनट में खत्म हो गई, लेकिन सुरक्षाबल तब मुश्किल में पड़ गए जब लोगों ने सेना के वाहनों पर चढ़ना शुरू कर दिया.
घटना में सात आम नागरिकों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए जिनमें एक युवक की हालत गंभीर बताई जा रही है. ठोकेर पिछले साल जुलाई में उत्तर कश्मीर के बारामुला जिले में सेना की इकाई से लापता हो गया था.
वह अपनी सरकारी राइफल और तीन मैगजीन के साथ फरार हो गया था तथा आतंकवादी संगठन में शामिल हो गया था. सुरक्षाबलों ने बताया कि वह पुलवामा जिले में कई हत्याओं में शामिल था. दो अन्य आतंकवादियों की पहचान की जा रही है.
अधिकारियों ने बताया कि मुठभेड़ में सेना का एक जवान भी शहीद हो गया जबकि दो अन्य जवानों की हालत गंभीर है. अधिकारियों ने दक्षिण कश्मीर के चारों जिलों में मोबाइल इंटरनेट सुविधाएं बंद कर दी हैं.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, 'किसी भी जांच से उन बेकसूर लोगों की जान वापस आयेगी.' उन्होंने कहा, 'दक्षिण कश्मीर पिछले छह महीने से खौफ के साये में जी रहा है। क्या राज्यपाल शासन से यही उम्मीद थी?'
उन्होंने अन्य ट्वीट किया, 'कोई भी मुल्क अपने ही लोगों के कत्ल से जंग नहीं जीत सकता.' नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने अभियान के तरीकों पर सवाल उठाया.
उन्होंने ट्वीट किया, 'आप चाहे जैसे भी देखें यह बेहद खराब तरीके से किया गया अभियान है. मुठभेड़ स्थलों के आस पास प्रदर्शन अपवाद नहीं बल्कि सामान्य बात हो गयी है. आखिर हम इनसे बेहतर तरीके से निपटना कब सीखेंगे?'
उन्होंने कहा, 'कश्मीर में खून से सना एक और हफ्ता.' उन्होंने ट्वीट किया, 'राज्यपाल मलिक का प्रशासन का सिर्फ एक ही काम है, वह है सिर्फ और सिर्फ जम्मू कश्मीर के लोगों की सुरक्षा पर ध्यान देना और संकटग्रस्त घाटी में शांति बहाल करना. लेकिन बड़े दुख की बात है कि प्रशासन यह एक काम भी नहीं कर पा रहा है.'
अलगाववादी से नेता बने और पूर्व मंत्री सज्जाद लोन ने कहा कि प्रशासन को इस तरह के आतंकवाद विरोधी अभियानों की कीमत को 'गंभीरता से आंकने' की जरूरत है.
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उन्होंने ट्वीट कर कहा कि अगर आप तीन आतंकवादियों को मारने के लिये सात आम नागरिकों की जान लेते हैं तो यह नहीं चलने वाला.
Source : News Nation Bureau