केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दी दिल्ली जैसी संवैधानिक अधिकार देने की कवायद शुरू कर दी है. दिल्ली की तरह जम्मू कश्मीर के एलजी को भी अब प्रशासनिक शक्तियां देने की तैयारी है. यहां पर ट्रांसफर और पोस्टिंग एलजी की अनुमति के बिना नहीं हो पाएगी. गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 55 के तहत संशोधित नियमों को अधिसूचित किया है. इसमें एलजी को अधिक शक्ति देने का प्रावधान है. इसमें नई धाराएं जोड़ी गई हैं. आपको बता दें कि जब से जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन हुआ है, तब से वहां चुनाव नहीं हो पाए हैं. मगर जब भी यहां पर सरकार का गठन होगा तब सबसे अधिक शक्तियां राज्यपाल के पास होंगी. ये शक्तियां ऐसी ही हैं, जैसे दिल्ली के एलजी के पास होती है.
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उमर अब्दुल्ला ने आलोचना
उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार के इस निर्णय को लेकर कड़ी आलोचना की है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'एक और संकेत है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव करीब हैं. यही वजह है कि जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण, अविभाजित राज्य का दर्जा बहाल करने को लेकर समय सीमा तय करने की दृढ़ प्रतिबद्धता इन चुनाव के लिए एक शर्त है. जम्मू-कश्मीर के लोग शक्तिहीन, रबर स्टैम्प सीएम से बेहतर के हकदार हैं, जिन्हें अपने चपरासी की भी नियुक्ति के लिए एलजी से गिड़गिड़ाना पड़ेगा.'
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स्पेशल स्टेट्स खत्म कर दिया था
आपको बात दें कि 5 अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दिया गया स्पेशल स्टेट्स खत्म कर दिया है. इसके साथ पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों को बांट दिया. इसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख शामिल हैं. लद्दाख में विधानसभा नहीं है. एलजी की बढ़ती शक्ति को लेकर विपक्ष नाराज है. उसका कहना है कि इस तरह से केंद्र अपने हाथ में सभी शक्ति रखना चाहता है. दिल्ली में भी एलजी की अनुमति के बिना किसी की तरह की ट्रांस्फर और पोटिंग नहीं हो सकती है.
Source : News Nation Bureau