जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को भाजपा सरकार पर अपने विभाजनकारी एजेंडे को लागू करने के लिए कश्मीर की सभी धार्मिक और सूफी परंपराओं को खत्म करने का आरोप लगाया. महबूबा ने कहा कि बीजेपी तब तक रुकने के लिए तैयार नहीं है, जब तक कि पार्टी अपने 'विभाजनकारी एजेंडे' को लागू करके कश्मीर की धार्मिक और सूफी परंपराओं को 'खत्म' नहीं कर देती है. पूर्व मुख्यमंत्री का यह बयान सोमवार को जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की ओर से जारी उस आदेश के खिलाफ है, जिसके तहत 'दस्तारबंदी' (एक प्रभावशाली व्यक्ति के सम्मान के निशान के रूप में सिर को बांधने वाले) समारोहों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
भाजपा नेताओं को बताया पाखंडी
महबूबा ने अलग-अलग मौकों पर प्रधानमंत्री और दूसरे भाजपा नेताओं की पगड़ी बांधने वाली फोटो शेयर करते हुए ट्वीट किया कि पाखंड की कोई सीमा नहीं है, क्योंकि भाजपा नेता खुद मंदिर, दरगाह या गुरुद्वारे में पगड़ी बांधने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. इसके आगे उन्होंने लिखा कि वे तब तक रुकने के लिए तैयार नहीं हैं, जब तक कि वे अपने विभाजनकारी एजेंडे को लागू कर कश्मीर पर नियंत्रण करने के लिए हमारी सभी धार्मिक और सूफी परंपराओं को खत्म नहीं कर देते.
दरअसल, जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है कि राजनीतिक नेताओं के लिए उनकी राजनीतिक संबद्धता के अनुसार दस्तारबंदी की जा रही है. लिहाजा, इस पर रोक लगाने के साथ ही आदेश में कहा गया है कि दस्तार बंदी केवल धार्मिक क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करने वालों को सम्मानित करने के लिए की जानी चाहिए.
पीडीपी नेता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की सांस्कृतिक और पारंपरिक प्रथाओं को बढ़ावा देने के बजाए धार्मिक नेताओं को गिरफ्तार करना, सज्जाद नशीनों को उनके पारंपरिक कर्तव्यों को निभाने से रोकना और अब दस्तारबंदी (धार्मिक स्थानों पर आशीर्वाद देने का एक सार्वजनिक समारोह) पर प्रतिबंध लगाना, यह सब दर्शाता है कि भाजपा सरकार पर अपने विभाजनकारी एजेंडे को लागू करने के लिए कश्मीर की सभी धार्मिक और सूफी परंपराओं को खत्म करने पर तुली हुई है.
Source : News Nation Bureau