जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को एक बार फिर घर में नजरबंद कर दिया गया है. कभी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पीडीपी के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाई थी, लेकिन दोनों पार्टियों की बेमेल दोस्ती 40 महीने भी नहीं चल पाई थी. महबूबा मुफ्ती भाजपा के सपोर्ट से ही जम्मू-कश्मीर की पहली मुख्यमंत्री बनी थीं. अब बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर भाजपा ने पीडीपी के साथ गठबंधन क्यों तोड़ दिया था? आतंकवादियों और पत्थरबाजों पर लगाम लगाने में मुफ्ती सरकार फेल रही थी, इसलिए गृह मंत्री अमित शाह ने पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया था.
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वर्ष 2015 में जम्मू-कश्मीर में भाजपा और पीडीपी गठबंधन की सरकार बनी थी. बीजेपी से गठबंधन के बाद मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री बनाए थे, जबकि उपमुख्यमंत्री भाजपा के खाते में गया था. 1 मार्च 2015 को मुफ्ती मोहम्मद सईद ने जम्मू-कश्मीर के 12वें सीएम के तौर पर शपथ लिया था. उनका 7 जनवरी 2016 को निधन हो गया.
जम्मू-कश्मीर में संवैधानिक संकट के बीच फिर पीडीपी-बीजेपी सरकार बनाने के लिए तैयार हो गई. ढाई महीने के बाद 4 अप्रैल 2016 को महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं, जबकि डिप्टी सीएम भाजपा के निर्मल सिंह को बनाया गया था. जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाने का महबूबा मुफ्ती हमेशा से विरोध करती रही हैं, इसलिए जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाने से कुछ घंटे पहले महबूबा मुफ्ती को हाउस अरेस्ट कर लिया गया था. करीब 14 महीने तक नजरबंद रहने के बाद मुफ्ती को रिहा गया था.
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एक बार फिर घाटी में जब केंद्र सरकार के आदेश पर भारतीय सेना आतंकवादियों को ढूंढ-ढूंढकर मौत के घाट उतार रही है तो हाल ही में पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सवाल पर बड़ा आरोप लगाया था. उन्होंने श्रीनगर के हैदरपोरा एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस मुठभेड़ के बाद घाटी में तनाव की स्थिति बनी हुई है. इस पर प्रशासन ने श्रीनगर में महबूबा मुफ्ती को हाउस अरेस्ट कर दिया है.