जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर हिंसक विरोध प्रदर्शनों पर काबू पाने के लिए विवादित पेलेट गन का इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि पेलेट गन में कुछ बदलाव किये गये हैं।
पिछले साल हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में हिंसक प्रदर्शनों के दौरान इसका इस्तेमाल किया गया था। जिसमें दर्जनों लोगों को आंख की रोशनी गंवानी पड़ी थी और इसपर काफी विवाद हुआ था। सुरक्षा बल उसके बाद से मिर्च वाले पावा शेल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। जो ज्यादा असरदार साबित नहीं हो रहा है।
सीआरपीएफ के डायरेक्टर जनरल के दुर्गा प्रसाद ने कहा, 'किसी भी प्रदर्शन और सेना विरोधी अभियानों को तोड़ने के लिए पेलेट गन के एक मॉडिफाइड वर्जन का इस्तेमाल किया जाएगा।' उन्होंने कहा कि बीएसएफ की मदद से बल ने पेलेट गनों को मॉडिफाई करने का फैसला किया है, ताकि कम चोट लगे।
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CRPF के जवानों को भी निर्देश दिया गया है कि वे प्रदर्शनकारियों के पैरों पर निशाना लगाएं, न कि ऊपर के हिस्से पर। एक अधिकारी ने कहा, 'हमने अपने जवानों से कहा कि पैरों पर फायर करें। डिफ्लेक्टर के इस्तेमाल से इस बात की सिर्फ 2 फीसदी आशंका होगी कि छर्रा ऊपरी हिस्से पर लगे, जबकि पहले यह आशंका 40 फीसदी होती थी।'
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Source : News Nation Bureau