जिला रियासी पुलिस ने अपने अधिकार क्षेत्र में शांति बनाए रखने के उद्देश्य से जिला रियासी के 9 हिस्ट्रीशीटरों की पहचान की है, जिन्होंने आत्मरक्षा के बहाने अपने जिला के अलावा अन्य जिलों से शस्त्र लाइसेंस (Fake Gun License) का प्रबंधन किया था. उनके पक्ष में और उनमें से कुछ ने वर्षों से अपने कब्जे में तीन हथियार और गोलियों तक रखी है। उनमें से दो के पास फर्जी लाइसेंस थे, जबकि एसडीएम मेंढर द्वारा जारी एक लाइसेंस के रिकॉर्ड को कथित तौर पर आग में नष्ट कर दिया गया है.
पुलिस के संज्ञान में आया था कि ये आरोपी इन हथियारों का इस्तेमाल क्षेत्र के शांतिप्रिय और निर्दोष लोगों को परेशान करने के लिए कर रहे हैं और आम लोगों के मन में भय पैदा कर चुके हैं. जिला पुलिस इन आरोपियों की पहचान करके हरकत में आई. एक नई फील्ड रिपोर्ट तैयार की और संबंधित जिलाधिकारियों से संपर्क करके इनके गन लाईंस रद्द करने की सिफारिश की, जहां से ये लाइसैंस जारी किए गए थे. आतंकवादियों के लिए काम करने वाले एक ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) मोहम्मद असगर मीर पुत्र मोहम्मद अमीन मीर निवासी जमलान माहौर ने भी वर्ष 1984 में जिला उधमपुर से नकली बंदूक लाइसैंस का प्रबंधन किया था. वह आश्रय और हत्या की 2 प्राथमिकी में शामिल रहा है. उसके खिलाफ माहौर थाने में कई मामले दर्ज है. वहीं जब पुलिस ने इस संबंध में डीएम उधमपुर से संपर्क किया तो पता चला कि उसके गन लाइसैंस का रिकॉर्ड जिला मजिस्ट्रेट उधमपुर के कार्यालय में मौजूद नहीं है और उसने एक नकली बंदूक लाइसैंस का प्रबंधन किया था.
इस के साथ ही पुलिस ने दस लोगों की जांच शुरू कर दी है, जिनके खिलाफ मामले दर्ज हैं. पुलिस ने मोहम्मद असगर निवासी जमसलान को गिरफतार किया है. उसके खिलाफ 1984 में उधमपुर से नकली गन लाइसेंस बना कर बंदूक खरीदने और लोगों को धमकाने का आरोप था. उस पर 1997 और 2005 में हत्या के आरोप में मामला दर्ज था. एक अन्य आरोपी मोहम्मद असगर निवासी माहौर को गिरफ्तार किया है। उस ने कठुआ से गन का लाइसेंस बना कर अवैध तरीके से बंदूक खरीदी थी और लोगों को धमकाने का आरोप था. आरोपी पर दस के करीब मामले विभिन्न पुलिस स्टेशन में दर्ज हैं. दोनों के गन लाइसेंस को रद्द करवा कर बंदूकों को जब्त कर लिया गया है.
HIGHLIGHTS
9 हिस्ट्रीशीटरों की पहचान
ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) के खिलाफ केस
नकली गन लाइसेंस बना कर लोगों को धमकाने का आरोप