Article 370 : जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 (Article 370) निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर सुनवाई शुरू हो गई है. इस मामले को लेकर शीर्ष अदालत में दोनों पक्षों के वकीलों की ओर से अपनी अपनी दलीलें पेश की जा रही हैं. इसे लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) और पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) का बड़ा बयान सामने आया है.
यह भी पढ़ें : Chhattisgarh elections: CM भूपेश बघेल बोले- अबकी बार 75 पार
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि हम लड़ रहे हैं और न्याय पाने की उम्मीद में हैं. हमें उम्मीद है कि न्यायाधीश हमारे तर्कों से संतुष्ट होंगे. यह एक लंबी प्रक्रिया है, लेकिन हम इंतजार कर रहे हैं. वहीं, इस मामले को लेकर पीडीपी की चीफ महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद है कि वह न्याय करेगा. हमारा संघर्ष यहीं खत्म नहीं होता. हमारा संघर्ष जारी रहेगा.
#WATCH हम लड़ रहे हैं और न्याय पाने की उम्मीद में हैं.. हमें उम्मीद है कि न्यायाधीश हमारे तर्कों से संतुष्ट होंगे। यह एक लंबी प्रक्रिया है लेकिन हम इंतजार कर रहे हैं: सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर… pic.twitter.com/zaUVha4Y7C
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 17, 2023
#WATCH हमें सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद है कि वह न्याय करेगा। हमारा संघर्ष यहीं ख़त्म नहीं होता। हमारा संघर्ष जारी रहेगा: सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई पर PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती pic.twitter.com/ekPKLOjJin
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 17, 2023
यह भी पढ़ें : Assembly Elections: BJP ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की, देखें प्रत्याशियों के नाम
जानें पिछली सुनवाई में क्या हुआ
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने 10 अगस्त को अनुच्छेद 370 पर सुनवाई के दौरान सवाल पूछा किया कि भारतीय संविधान में 1957 के बाद जम्मू कश्मीर के संविधान का जिक्र क्यों नहीं है? इस पर याचिकाकर्ता मुजफ्फर इकबाल खान की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने अपनी दलील देते हुए कहा कि 1957 वाले राज्य संविधान के तहत मिली ऑटोनॉमी को बिना जम्मू कश्मीर की जनता की इच्छा के समाप्त नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 राज्य में संविधान लागू करने का एक माध्यम था. जम्मू-कश्मीर संविधान सभा ने आर्टिकल 370 को जारी रखने की मंजूरी दी थी.
Source : News Nation Bureau