रविवार को केंद्र सरकार ने एक इम्पॉटेंट अधिसूचना जारी करते हुए जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को समाप्त कर दिया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा जारी आदेश के अनुसार, यह फैसला जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 73 के तहत लिया गया है. इस आदेश में कहा गया है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति से ठीक पहले राष्ट्रपति शासन को समाप्त किया गया है, जो राज्य की राजनीतिक स्थिति में एक नई शुरुआत का संकेत है.
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन खत्म
यह फैसला उस समय आया है जब जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक गतिशीलता को फिर से स्थापित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी. 2018 में, तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया था, जो महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के गिरने के बाद राजनीतिक संकट का परिणाम था. यह पहला मौका था जब 1996 के बाद से उग्रवाद प्रभावित इस राज्य में केंद्रीय शासन लगाया गया था.
नई सरकार के गठन की तैयारी
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आदेश के अनुसार, राष्ट्रपति को राज्यपाल सत्य पाल मलिक से मिली रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला लिया गया. रिपोर्ट के अध्ययन के बाद, राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट थीं कि राष्ट्रपति शासन की आवश्यकता थी. इस प्रक्रिया से साफ होता है कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक स्थिरता की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए तैयार है.
नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू
जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के लिए यह एक इम्पॉटेंट कदम है, क्योंकि राष्ट्रपति शासन के अंत के साथ, नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू होगी. स्थानीय नेतृत्व को एक बार फिर से सक्रिय करने और नागरिकों की समस्याओं का समाधान करने के लिए यह एक सुनहरा अवसर है.
दलों के बीच संवाद और सहयोग
केंद्र शासित प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियों को तेज करने के लिए विभिन्न दलों के बीच संवाद और सहयोग की आवश्यकता होगी. यह भी देखने की बात होगी कि क्या नए राजनीतिक गठबंधन बनते हैं या मौजूदा दल अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए एकजुट होते हैं.
उमर अब्दुल्ला 16 अक्टूबर को लेंगे शपथ
बता दें, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला 16 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण करेंगे. उपराज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने का न्यौता दिया है. शेर-ए-कश्मीर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया जाएगा.
नई सरकार के गठन की तैयारी
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन का अंत और नई सरकार के गठन की तैयारी से यह साफ है कि केंद्र सरकार ने क्षेत्र में स्थिरता लाने का फैसला लिया है. यह देखना अब इम्पॉटेंट होगा कि यह प्रक्रिया कितनी जल्दी और सुचारु रूप से आगे बढ़ती है और किस प्रकार से स्थानीय जनता की आकांक्षाओं को पूरा करती है.