जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग होने के बाद शुरू हुई जुबानी जंग में राम माधव ने ‘सीमा पार से आया था निर्देश’ वाला बयान वापस ले लिया है. भारतीय जनता पार्टी के महासचिव राम माधव ने ट्वीट कर अपने शब्द वापस लिए और कहा कि जो भी मेरा कमेंट था वह राजनीतिक था, निजी नहीं था. इससे पहले राम माधव ने कहा था, 'पिछले महीने पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने स्थानीय निकाय चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था, क्योंकि ऐसा करने के लिए उन्हें सीमा पार से आदेश मिले थे. शायद इस बार उन्हें ताजा आदेश मिले है कि वे साथ आएं और सरकार बनाए.'
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उमर अब्दुल्ला ने राम माधव के इस बयान पर कड़ी नाराजगी जताई और चुनौती देते हुए कहा, राम माधव जी अगर हिम्मत है तो इन आरोपों को साबित कीजिए. आप सबूतों को सार्वजनिक करें. या फिर माफी मांगे.
उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा, 'बीजेपी नेता सबूत दें कि पाकिस्तान के किस इशारे पर हमने (एनसी और पीडीपी) काम किया है. बीते 30 सालों में हमारे 3 हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने कुर्बानियां दी है. यह हम जानते हैं या फिर हमारे कार्यकर्ताओं के बच्चे जानते हैं.' अगर राम माधव में हिम्मत है तो सबूत लकेर सामने आइए और अदालत में साबित कीजिए. आरोप लगाकर पतली गली से निकल जाना बहुत आसान हो जाता है.
यह भी पढ़ें : मनीष तिवारी बोले, BJP को लगा कि वह सरकार नहीं बना पाएगी तो जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग करवा दी
इससे पहले राम माधव ने कहा था, फैक्स मशीन से संबंधित सवाल का जवाब राज्यपाल ही दे सकते हैं. पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती को लेकर राम माधव बोले, पत्र में उन्होंने सरकार बनाने का दावा नहीं किया था. महबूबा ने पत्र में गवर्नर से कहा था, मैं आपसे मिलने आ रही हूं और सरकार बनाने का दावा पेश करूंगी.
Source : News Nation Bureau
‘सीमा पार से आया था निर्देश’ वाली बात से पीछे हटे राम माधव, बोले-यह निजी नहीं, राजनीतिक बयान
भारतीय जनता पार्टी के महासचिव राम माधव ने ट्वीट कर अपने शब्द वापस लिए और कहा कि जो भी मेरा कमेंट था वह राजनीतिक था, निजी नहीं था.
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जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग होने के बाद शुरू हुई जुबानी जंग में राम माधव ने ‘सीमा पार से आया था निर्देश’ वाला बयान वापस ले लिया है. भारतीय जनता पार्टी के महासचिव राम माधव ने ट्वीट कर अपने शब्द वापस लिए और कहा कि जो भी मेरा कमेंट था वह राजनीतिक था, निजी नहीं था. इससे पहले राम माधव ने कहा था, 'पिछले महीने पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने स्थानीय निकाय चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था, क्योंकि ऐसा करने के लिए उन्हें सीमा पार से आदेश मिले थे. शायद इस बार उन्हें ताजा आदेश मिले है कि वे साथ आएं और सरकार बनाए.'
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उमर अब्दुल्ला ने राम माधव के इस बयान पर कड़ी नाराजगी जताई और चुनौती देते हुए कहा, राम माधव जी अगर हिम्मत है तो इन आरोपों को साबित कीजिए. आप सबूतों को सार्वजनिक करें. या फिर माफी मांगे.
उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा, 'बीजेपी नेता सबूत दें कि पाकिस्तान के किस इशारे पर हमने (एनसी और पीडीपी) काम किया है. बीते 30 सालों में हमारे 3 हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने कुर्बानियां दी है. यह हम जानते हैं या फिर हमारे कार्यकर्ताओं के बच्चे जानते हैं.' अगर राम माधव में हिम्मत है तो सबूत लकेर सामने आइए और अदालत में साबित कीजिए. आरोप लगाकर पतली गली से निकल जाना बहुत आसान हो जाता है.
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इससे पहले राम माधव ने कहा था, फैक्स मशीन से संबंधित सवाल का जवाब राज्यपाल ही दे सकते हैं. पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती को लेकर राम माधव बोले, पत्र में उन्होंने सरकार बनाने का दावा नहीं किया था. महबूबा ने पत्र में गवर्नर से कहा था, मैं आपसे मिलने आ रही हूं और सरकार बनाने का दावा पेश करूंगी.
Source : News Nation Bureau