पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज ने सोमवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा बहाल करने से केंद्र को कोई फायदा नहीं होगा. सोज ने एक बयान में कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर के यूनियन के साथ संवैधानिक संबंध खराब हुए हैं, तो यह केंद्र सरकार की वजह से है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अपनी गलतियों से नहीं सीखा, इसलिए उसने अपनी गलतियों को दोहराना जारी रखा है. अब राज्य का दर्जा बहाल करने की उसकी (केंद्र सरकार की) मंशा से कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर के लोगों के सामने एक छोटा सा मुद्दा है.
सैफुद्दीन सोज ने कहा कि असली मुद्दा निरस्त किए गए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 में निहित जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा है, जिसे केंद्र सरकार को बहाल करना है. कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी आलोचना हुई है, जहां लोगों के साथ-साथ उनकी सरकारें भी महसूस करती हैं कि 1952 के दिल्ली समझौते के माध्यम से राज्य के लोगों और तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा अनुसमर्थित आंतरिक स्वायत्तता के क्षरण से जम्मू एवं कश्मीर राज्य के लोग बहुत आहत और क्रोधित हैं.
सोज ने आगे कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को बहाल करने के लिए केंद्र सरकार के किसी भी कदम को जम्मू-कश्मीर के लोगों द्वारा सिरे से खारिज कर दिया जाएगा. सोज ने कहा कि राज्य के लोग यूनियन को फिर से यह साबित करेंगे कि उनका गुस्सा तब तक कम नहीं होगा जब तक कि धारा 370 के प्रावधान बहाल नहीं हो जाते.
आपको बता दें कि सैफुद्दीन सोज पिछले साल पांच अगस्त से अपने घर में नजरबंद हैं. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने मुमताजुन्निसा की याचिका पर वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान केंद्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किए थे.
केन्द्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन को जुलाई के दूसरे सप्ताह तक नोटिस का जवाब देना था. मुमताजुन्निसा ने इस याचिका में अपने पति सैफुद्दीन सोज को घर में ही नजरबंद रखने के आदेश को निरस्त करने और कांग्रेस के इस वरिष्ठ नेता को न्यायालय में पेश करने का आदेश देने का अनुरोध किया था.
Source : IANS