जम्मू में पुलिस और प्रशासन ने बर्मा से फॉरेन एक्ट के उलंघन कर गेर कानूनी तरीके से आये रोहिंग्या रिफ्यूजियों की वेरीफिकेशन और उन्हें होल्डिंग सेन्टर में भेजने का प्रोसेस शुरू कर चुकी है. रोहिंग्या रिफ्यूजियों किस तरीके से जम्मू आये, यहां बसे, कैसे उन्होंने अपने गैर कानूनी तरीके से आधार कार्ड बनाये और कैसे उनके लिंक आतंकी संघठनो से जुड़े है. इसको लेकर जम्मू कश्मीर हाइकोर्ट में 2017 में एक PIL दाखिल की गई थी. इसको लेकर 9 फरवरी को कोर्ट ने एक आदेश जारी कर सरकार से इन लोगों की निशानदेही कर इन्हें कैसे वापिस भेजना है उसके बारे जल्द से जल्द जानकारी देने को कहा था.
उसी के कुछ दिन बाद पुलिस द्वारा रोहिंग्या की वेरिफिकेशन और उन्हें होल्डिंग सेन्टर में भेजने का काम शुरू किया गया. दरसल 2017 में जम्मू के वकील हुनर गुप्ता ने हाइकोर्ट में रोहिंग्या और बांग्लादेशी इमिग्रेंट्स को डिपोर्ट करने को लेकर ये PIL दायर की थी. इस PIL में हुनर गुप्ता ने कई साक्ष्य और मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले दिया था. अपनी याचिका में हुनर गुप्ता ने कई बिंदुओं सामने रखे थे.
1-अपने पहले बिंदु में हुनर गुप्ता ने कहा था कि रोहिंग्या रिफ्यूजियों का तर्क था कि वो UNHCR का कार्ड बनाकर एक रेफ्यूजी की तरह जम्मू में रह रहे है .....हुनर गुप्ता ने कोर्ट में रखा कि भारत 1951 रेफ्यूजी कन्वेंशन का सिग्नट्री नही है और ये कार्ड उन्हें किसी भी तरह की कोई इम्युनिटी नही देता और रोहिग्या रेफ्यूजी फॉरेन एक्ट के उलंघन करके जम्मू में गैर कानूनी तरीके से रह रहे है. पुलिस ने भी 155 रोहिग्या रेफ्यूजी की गिरफ्तारी को लेकर कहा की रोहिंग्या रेफ्यूजी को फॉरेन एक्ट के उलंघन के चलते हिरासत में लेकर होल्डिंग सेन्टर भेजा गया है.
2- हुनर गुप्ता ने कोर्ट के सामने 2015 में 46 रोहिंग्या द्वारा गैर कानूनी तौर पर बनाये गए वोटर आई डी , आधार कार्ड और पासपोर्ट की तस्वीर की कॉपी भी हाई कोर्ट के सामने रखी. जिन्हें डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन की कार्यवाही में बरामद किया गया था.
3- हुनर गुप्ता ने कोर्ट के सामने उन मीडिया रिपोर्ट्स और पुलिस कारवाही का भी हवाला दिया जिसमें रोहिंग्या रिफ्यूजियों के आतंकियो के साथ संबंध सामने आए ....कश्मीर में एक एनकाउंटर के दौरान एक रोहिंग्या आतंकी के मारे जाने की खबर का हवाला भी हुनर गुप्ता ने कोर्ट के सामने दिया और कोर्ट को ये भी बताया ही कैसे लश्कर सरगना हाफिज सईद के तार रोहिंग्या आतंकियो से जुड़े हुए है. कोर्ट में इन्ही दलीलों के आधार पर ही UT प्रशासन को 9 फरवरी को निर्देश जारी किए
पहली बार 1986 में हुई थी रोहिंग्या घुसपैठ
वकील हुनर गुप्ता के मुताबिक 1986 में रोहिंग्या रिफ्यूजियों का पहला परिवार जम्मू में आया था और बॉर्डर क्रासिंग के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई थी. लेकिन तात्कालिक सरकारों ने इसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की और लगातार सरकारों के संरक्षण में रोहिंग्या रिफ्यूजियों का नंबर जम्मू में बढ़ता रहा. प्रदेश में रही महबूबा सरकार भी रोहिंग्या रिफ्यूजियों के नंबर को छुपाने में लगी रही. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जम्मू में 39 इलाकों में 6 हज़ार से ऊपर रोहिंग्या रहते है. लेकिन हुनर गुप्ता के मुताबिक इनकी संख्या जम्मू में 30 हज़ार के आस पास है.
10 से 15 हजार में रोहिंग्याओं के UNHRC के कार्ड बन जाते हैं
हुनर गुप्ता के मुताबिक उन्होंने गृहमंत्रालय को एक पत्र मे ये भी लिखा है कि दिल्ली में जिस जगह पर रोहिंग्या के UNHRC के कार्ड बनाये जाते है वहां भी जांच की जानी चाहिए. क्योंकि इस तरह की रिपोर्ट है कि कई लोग रैकेट चलकर 10 से 15 हज़ार की रकम में इनके कार्ड बनाने का काम कर रहे है. ऐसे में पुलिस ने इनके खुलाफ़ कार्यवाही तो शुरू कर दी है, लेकिन इन सभी लोगो की वेरफिकेशन से लेकर इन्हें डिपोर्टेशन तक पुलिस और प्रशासन को इसमें काफी मशकत करनी होगी.
HIGHLIGHTS
- 1986 में पहली बार जम्मू में आए थे रोहिंग्या
- FIR के बाद तत्कालीन सरकारों ने की ढिलाई
- 10 से 15 हजार में रोहिंग्याओं के बने UNHRC कार्ड