सुरक्षा बलों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले पैलेट गन के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के हलफनामे पर नाराजगी जाहिर की है।
जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने हलफनामे कहा था कि विभाजन के वक्त जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय गलती थी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि ये जवाब स्तब्ध करने वाला है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने ये भी कहा, 'सुप्रीम कोर्ट को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से ये पूछना ही नहीं चाहिए था कि राज्य में सड़कों पर प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं।'
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक का आदेश दे सकता है बशर्ते वहाँ हो रही पत्थरबाजी/ प्रदर्शन को रोका जाए।
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जम्मू एवं कश्मीर बार एसोसिएशन के नेताओं से हालात को सुधारने के लिए सकारात्मक सुझावों के साथ आगे आने की बात कहते हुए तत्कालीन चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने कहा था कि यदि जम्मू एवं कश्मीर में पत्थरबाजी, हिंसा बंद होती है और विद्यार्थी कक्षाओं में वापस लौट जाते हैं तो हम सरकार से पैलेट गन का इस्तेमाल नहीं करने के लिए कहेंगे।
कोर्ट ने बार एसोसिएशन को राज्य में हालात सामान्य करने के लिए मध्यक्षता करने और जवाब दाखिल करने के लिए कहा था। बार एसोसिएशन ने सुरक्षाबलों से पैलेट गन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने की मांग की है।
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Source : News Nation Bureau