कश्मीर घाटी की सबसे कम उम्र की लेखिका, ऐनी फ्रैंक हैं प्ररेणास्रोत

कुलगाम ज़िले में पड़ने वाला गांव कनिपोरा में 12वीं कक्षा की छात्रा ने 3 किताबें लिखकर घाटी की सबसे कम उम्र की लेखिका बनीं.

author-image
Pradeep Singh
एडिट
New Update
bushra nida

कश्मीर की सबसे कम उम्र की लेखिका( Photo Credit : Twitter handle)

Advertisment

जम्मू-कश्मीर: दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले की 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली 16 वर्षीय छात्रा बुशरा निदा कश्मीर घाटी की सबसे कम उम्र की लेखिका बन गई हैं, क्योंकि उन्होंने अब तक तीन किताबें लिखी हैं. बुशरा निदा ने हाल ही में अल्बर्ट आइंस्टीन के समीकरण E=mc² पर अपनी तीसरी पुस्तक प्रकाशित की है. बुशरा निदा द्वारा लिखी गई तीन पुस्तकें 'ट्यूलिप ऑफ फीलिंग्स', 'द डेवी' (आवर्त सारणी के तत्वों का पोएटिक रेंडिशन) और 'ई = एमसी 2' शीर्षक से लिखी गई हैं. इन पुस्तकों को लिखने के बाद बुशरा निदा कश्मीर घाटी की सबसे कम उम्र की लेखिका बन गई हैं और काफी प्रसिद्धि भी हासिल की है. बुशरा निदा को अपनी पहली और दूसरी किताब के लिए पुरस्कार भी दिया गया था.

कुलगाम ज़िले में पड़ने वाला गांव कनिपोरा में 12वीं कक्षा की छात्रा ने 3 किताबें लिखकर घाटी की सबसे कम उम्र की लेखिका बनीं. उन्होंने कई खिताब भी जीते हैं. लेखिका बुशरा निदा ने बताया, “मुझे ऐनी फ्रैंक से प्ररेणा मिली और मैंने कविताएं लिखना शुरू किया.” 

बुशरा निदा की पहली किताब 'ट्यूलिप ऑफ फीलिंग्स' को 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' ने भी सराहा था. वहीं उनकी दूसरी किताब 'द डेवी' (पोएटिक रेंडिशन ऑफ एलिमेंट्स ऑफ पीरियोडिक टेबल) ने अंतरराष्ट्रीय वाहवाही बटोरी और इसे 'गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' के रूप में भी रजिस्ट्रर किया गया है. इसके अलवा बुशरा को अपनी किताब के लिए 'एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' में भी शामिल किया गया है. उन्होंने अपनी दूसरी किताब के लिए 'इंटरनेशनल कलाम का गोल्डन अवार्ड 2021' भी जीता था.

publive-image

कुलगाम जिले के कनिपोरा बस्ती की रहने वाली बुशरा निदा 16 साल की हैं और 12वीं में पढ़ती है. बुशरा निदा ने काव्यात्मकअंदाज में यह किताबे लिखी हैं. कश्मीर न्यूज ऑब्जर्वर से बात करते हुए बुशरा निदा ने कहा कि वह विज्ञान विषयों पर लिखना पसंद करती हैं. उन्होंने कहा कि E=mc² उनका तीसरा प्रकाशन है और समीकरण को सरल शब्दों में अच्छी तरह से समझाया है. बुशरा निदा ने कहा, "मैंने कलम और कागज के एक कैनवास के माध्यम से सापेक्षता के सिद्धांत को चित्रित किया है और मैंने आइंस्टीन के जीवन और उनके प्रसिद्ध समीकरण को सुंदर छंदों में तैयार किया है.'' बुशरा निदा ने कहा, "मैंने यह समझाने की कोशिश की है कि ब्रह्मांड में सूर्य और अन्य तारे कैसे काम करते हैं और पदार्थ कैसे ऊर्जा बन सकता है और इसके विपरीत, रेडियोधर्मिता, रेडियोकार्बन घटना, सीटी स्कैन, पीईटी तकनीक (पॉज़िट्रॉन उत्सर्जन स्थलाकृति स्कैन), दूरसंचार और कैसे ई = एमसी² तकनीक को संभव बनाता है, ब्लैक होल, बिग बैंग थ्योरी इससे जुड़े कई और महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं.''

अपनी तीसरी पुस्तक के बारे में बुशरा निदा ने कहा, "पुस्तक में मैंने सूत्र को काव्यात्मक रूप देकर सरल बनाने का प्रयास किया है ताकि एक आम आदमी भी इसे आसानी से समझ सके." उसने कहा कि यह E=mc2 पर लिखी गई पहली कविता पुस्तक है और इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज कराने के लिए भी आवेदन किया गया है. बुशरा निदा ने कहा, "मैंने आवेदन जमा कर दिया है और इसे स्वीकार कर लिया गया है. समिति अब मेरे दावे की जांच कर रही है. मुझे अपने नाम पर शीर्षक मिलने की उम्मीद है." बुशरा ने यह भी कहा कि उन्हें बचपन से ही कविताएं लिखने और पढ़ने में दिलचस्पी थी, जिससे उन्होंने तीन किताबें लिखीं और डॉक्टर बनना चाहती हैं क्योंकि यह उनके दिवंगत पिता का सपना था.

Source : News Nation Bureau

Kashmir valley bushra nida Anne Frank is an inspiration The youngest writer of Kashmir
Advertisment
Advertisment
Advertisment