2 शिक्षकों ने मिलकर बंजर भूमि में शुरू की ड्रैगन फ्रूट की खेती, 14 महीने में आया फल

लॉकडाउन के दौरान पीएम के मन की बात से प्रेरणा लेकर दो सरकारी शिक्षकों ने पेटरवार प्रखंड के चंदो गांव के पथरीली बंजर भूमि में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है.

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Vineeta Kumari
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ड्रैगन फ्रूट की खेती( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

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लॉकडाउन के दौरान पीएम के मन की बात से प्रेरणा लेकर दो सरकारी शिक्षकों ने पेटरवार प्रखंड के चंदो गांव के पथरीली बंजर भूमि में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है. दोनों शिक्षकों ने पथरीली जमीन में एक एकड़ में ड्रैगन फ्रूट के 2000 पेड़ लगाए. इसमें कुल 8 लाख का खर्च आया है और 14 महीने में पेड़ फल देना शुरू कर चुका है. ड्रैगन फ्रूट के पौधे को हैदराबाद से मंगाया गया था. इस मुश्किल काम को शिक्षक दिनेश कुमार सिंह व बलदेव मांझी ने कर दिखाया है. दोनों शिक्षक चांदो हाई स्कूल में पढ़ाने का काम करते हैं.

दिनेश कुमार सिंह बोकारो से इस स्कूल में पढ़ाने आया करते हैं जबकि बलदेव मांझी इसी गांव के रहने वाले हैं. देश में जब कोरोना संक्रमण का दौर चल रहा था. सभी जगह लॉकडाउन लगा हुआ था. जिंदगी ठहर सी गई थी, उसी दौरान प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए लोगों को प्रेरित किया. इसका फल खाने से लोगों के इम्यूनिटी को बढ़ाने सहित अन्य बीमारियों में इसे लाभदायक बताया. इसके बाद दिनेश कुमार सिंह ने अपने सहयोगी शिक्षक बलदेव मांझी के पास इस खेती को करने का प्रस्ताव रखा.

बलदेव मांझी ने एक एकड़ पथरीली जमीन खरीद रखी थी. इसी में इस खेती को करने का इन लोगों ने ठान लिया. उसके बाद पथरीली बंजर भूमि को ड्रैगन की खेती के लिए तैयार किया. इस पेड़ को लगाने के लिए सीमेंट का स्ट्रक्चर तैयार किया गया, उसके बाद 500 सीमेंट का स्ट्रक्चर बना कर उसे गड़ा गया. एक एकड़ में लगाते हुए एक स्ट्रक्चर में 4 पेड़ को लगाने का काम किया गया. आज 14 महीने बाद इसमें फल आने लगा है और इसकी बिक्री भी इन लोगों ने शुरू कर दी है. हालांकि बाजार नहीं मिलने से यह लोग परेशान हैं.

सरकार से यह लोग चाहते हैं कि इसका बाजार उपलब्ध कराया जाए क्योंकि ड्रैगन की खेती 20 वर्षों के लिए होती है और एक पेड़ 20 वर्षों तक लगातार फल देने का काम करता है. दिनेश कुमार सिंह कहते हैं कि एक शिक्षक हमेशा समाज को दिशा दिखाने का काम करता है. हम लोग किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए इस खेती को करने का काम किया है और किसानों को भी दिशा दिखाने का काम हम लोग कर रहे हैं. यह विदेशी फल है और यह कैक्टस प्रजाति का होता है.

यह फल कई गंभीर बीमारियों के लिए लाभदायक माना जाता है. ड्रैगन फूड में एंटीवायरस और एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है. वर्तमान में यह फल बाजार में साढ़े ₹450 प्रति किलो की दर से बाजार में बिक रहा है. इस ड्रैगन फ्रूट की खेती को देखने के लिए बोकारो से भी लोग अपने बच्चों के साथ पहुंच रहे हैं. इस फल को खाने वाले लोगों का कहना है कि यह फल खाने में काफी स्वादिष्ट है और बाजार के अन्य फलों से अलग है.

Source : News Nation Bureau

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