Chandrayaan 3 के वैज्ञानिकों से गुमला की 25 छात्राओं ने की मुलाकात, CM हेमंत सोरेन बोले-'अद्भुत क्षण...'

गुमला जिले के विभिन्न आवासीय विद्यालयों की 25 छात्राओं को आज ISRO के सहयोग से चंद्रयान 3 को सफलतापूर्वक चंद्रमा पर लैंड करानेवाले वैज्ञानिकों से मिलने का मौका मिला. छात्रों द्वारा इस मौके को जमकर भुनाया गया.

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Shailendra Shukla
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Gumla

गुमला डीसी ने तस्वीरों को ट्वीट किया( Photo Credit : Twitter @DCGumla)

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गुमला जिले के विभिन्न आवासीय विद्यालयों की 25 छात्राओं को आज ISRO के सहयोग से चंद्रयान 3 को सफलतापूर्वक चंद्रमा पर लैंड करानेवाले वैज्ञानिकों से मिलने का मौका मिला. छात्रों द्वारा इस मौके को जमकर भुनाया गया और वैज्ञानिकों से अपनी सारी जिज्ञासाओं से जुड़े सवाल पूछे गए. गुमला के डीसी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर वैज्ञानिकों और छात्राओं के मुलाकात के दौरान की तस्वीरें शेयर की गई. डीसी गुमला ने तस्वीरों को पोस्ट करते हुए लिखा, 'ISRO के सहयोग से जिले के आवासीय विद्यालयों की 25 छात्राओं ने आज Chandrayaan-3 launchpad तथा अन्य अत्याधुनिक सुविधाओं का अवलोकन किया एवं Chandrayaan-3 के वैज्ञानिकों से भी सफलतापूर्वक मुलाकात की. छात्राओं को जिला प्रशासन गुमला की ओर से बधाई एवं शुभकामनाएं.'

सीएम बोले-'अद्भुत क्षण'

गुमला डीसी के ट्वीट को कोट करते हुए सूबे के हेमंत सोरेन ने ट्वीट किया, 'अद्भुत क्षण! गुमला जिले की हमारी बेटियों ने आज  ISRO कैंपस में चंद्रयान -3 समेत अंतरिक्ष से जुड़ी विभिन्न जानकारियों को जाना और समझा. इस अवसर पर सभी बेटियों को हार्दिक बधाई और जोहार. इसरो की टीम, गुमला जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी हार्दिक धन्यवाद और बधाई देता हूँ. राज्य वापसी पर आप अपने दोस्तों और माता-पिता के साथ भी अपने इस अनुभव को साझा जरूर कीजियेगा.'

चंद्रयान-3 के लैंडर व रोवर चंद्रमा पर नींद से जागने को तैयार

भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव अपना चंद्रयान-3 उतारकर इतिहास रच दिया. भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है. अब एक बार फिर इसरो लैंडर विक्रम और रोवर को जगाने की कोशिश करने जा रहा है. हलांकि इसकी उम्मीद कम ही दिखाई दे रही है. लेकिन इसरो ये कोशिश करेगी. लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान काम करने के बाद स्लीप मोड में जा चुके हैं. चांद पर चौदह दिनों के बाद सुबह हो रही है. यहां एक बार फिर सुर्योदय होगा. माना जा रहा है कि इसरो के वैज्ञानिक इस बाद से खुश हैं और एक बार दोनों को काम करने के लिए जगाया जाएगा. अगर वैज्ञानिक ऐसा कर लेते हैं तो इसरो के लिए बड़ी खुशी की बात होगी. 

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सोलर एनर्जी का इस्तेमाल

मीडिया रिपोर्ट से अनुसार चंद्रमा पर 14 दिनों से तापमान में भारी गिरावट देखी गई थी. यहां का तापमान माइनस 200 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. इतनी ठंड की मार नहीं झेल पा रहे हैं. इसरो ने जिस तरह से लैंडर और रोवर को डिजाइन किया था वो इस तापमान के लायक नहीं थे. माना जा रहा है कि चंद्रमा पर सुर्योदय होने के बाद तेज धूप होगी. इसी सोलर एनर्जी का उपयोग लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को चालु करने के लिया किया जाएगा. जानकारी के लिए आपकों बता दे कि चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है. दोनों की लाइफ चंद्रमा पर एक चांद दिवस के लिए ही था.

कमांडिंग मोड ऑन

इसरो के मुताबिक सुरज की रोशनी पड़ने से लैंडर में लगी बैटरी चार्ज होगी. इससे मशीन में लगे सभी उपकरण गर्म हो जाएंगे जो तापमान की वजह से ठंडे पड़ गए थे. लैंडर और रोवर में सोलर एनर्जी से चलने वाले उपकरण लगे हुए है. जिसे वैज्ञानिक एक बार फिर शुरू करने की कोशिश करेंगे. अगर इसरो ऐसा कर पाता है तो ये बहुत ही खुशी की बात होगी. 4 सिंतबर को विक्रम लैंडर को चांद पर सुला दिया गया था. इससे पहले उसके सभी पेलोड्स को बंद कर दिया गया था. हलांकि उसका कमांडिंग मोड ऑन रखा गया था. अगर ये एक बार फिर एक्टिव होता है तो कम से कम 14 दिनों के लिए चलेगा यानी एक चंद्र दिवस. इससे पहले इसरो को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की कई फोटो प्राप्त हुई. 

HIGHLIGHTS

  • गुमला जिले की छात्राओं को मिला मौका
  • 25 छात्राओं ने वैज्ञानिकों से की मुलाकात
  • चंद्रयान 3 की चांद पर सफल लैंडिंग करानेवाले वैज्ञानिकों से की मुलाकात

Source : News State Bihar Jharkhand

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