झारखंड के संथाल परगना में एक बार फिर बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठ हो सकता है. खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के बाद अब झारखंड के स्पेशल ब्रांच ने सभी जिले के डीसी और एसपी को चिट्ठी लिखकर बंगलादेश घुसपैठ से जुड़े शिकायतों के जांच रिपोर्ट की मांग की है. इस इनपुट के आधार पर राज्य के सभी जिलों के डीसी, एसएसपी और एसपी को अलर्ट किया गया है. इस मामले में पुलिस अधीक्षक विशेष शाखा झारखंड ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को पत्र लिखा है, जिसमें संताल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रवेश को लेकर अलर्ट रहने के निर्देश हैं. साथ ही घुसपैठियों के सरकारी दस्तावेज तैयार कर मतदाता सूची में नाम दर्ज करने और साजिशन उन्हें बसाने की बात भी चिट्ठी में कही गयी है.
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क्या 'जिहादलैंड' बना रहा झारखंड का संथाल?
चिट्ठी में बांग्लादेशी घुसपैठ को राज्य की आंतरिक व्यवस्था के लिए खतरे बताते हुए संताल परगना क्षेत्र के साथ-साथ राज्य के दूसरे जिलों में भी इसकी निगरानी और जांच करने को कहा गया है. चिट्ठी जारी होने के बाद ही अब एक बार फिर झारखंड में घुसपैठ का मुद्दा गरमाने लगा है, जहां पक्ष और विपक्ष में जुबानी जंग शुरू हो गई है. एक तरफ JMM जहां इसे केंद्र सरकार की अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा में चूक और नाकामी बता रही है, तो वहीं बीजेपी प्रदेश सरकार पर पलटवार करते हुए बांग्लादेशी घुसपैठ को राष्ट्र सुरक्षा से जो़कर जांच की मांग कर रही है.
घुसपैठ पर सियासत
अब मुद्दा है तो सियासत होगी, लेकिन सवाल ये है कि क्या बांग्लादेशी घुसपैठ सिर्फ सियासी मुद्दा है. दरअसल, संताल परगना के कुछ जिले बांग्लादेश सीमा से महज 40-50 किलोमीटर की दूरी पर है. इसलिए बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए झारखंड में घुसपैठ करना बेहद आसान होता है. घुसपैठिये ना सिर्फ घुसपैठ करते हैं बल्कि यहां शादी कर अपना कुनबा भी बढ़ाते हैं. आंकड़ों पर नजर डाले तों संताल परगना के साहेबगंज और पाकुड़ जिलों में आदिवासियों के मुकाबले मुस्लिम आबादी ज्यादा बढ़ी है.
बॉर्डर इलाकों में आफत!
जनसंख्या के आंकड़े देखें तो साल 2001 की जनगणना में साहेबगंज की कुल आबादी 9 लाख 27 हजार थी. इसमें मुसलमानों की आबादी 2 लाख 70 हजार थी. 2011 की जनगणना यानी 10 साल बाद साहेबगंज की कुल आबादी 11 लाख 50 हजार में मुस्लिम आबादी 3 लाख 8 हजार हो गई, जो एक तिहाई से थोड़ा ही कम है. पाकुड़ की हालत तो और बदतर है. 2011 में पाकुड़ जिले की कुल आबादी 9 लाख थी, जिसमें 3 लाख 23 हजार मुसलमान थे. जबकि 10 साल पहले यानी 2001 में पाकुड़ में मुस्लिम आबादी 2 लाख 32 हजार थी.
बांग्लादेशी घुसपैठियों से बदल रही डेमोग्राफी?
आंकड़ों से साफ है कि घुसपैठ झारखंड के लिए नासूर बनता जा रहा है. मामले पर भले ही सियासत हो रही हो लेकिन ये मुद्दा बेहद गंभीर है, ना सिर्फ साहिबगंज या झारखंड के लिए बल्कि पूरे देश के लिए, क्योंकि कहीं ना कहीं ये देश की सुरक्षा में सेंधमारी है. झारखंड के चार जिलों में बांग्लादेशियों की लगातार घुसपैठ राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक के लिए चिंता का विषय है क्योंकि इन जिलों की जनसंख्या पर असर पड़ रहा है. कुछ दिनों पहले ही झारखंड हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में ये दावा किया गया कि बॉर्डर इलाकों के जिलों में बड़ी संख्या में मदरसे बनाए जा रहे हैं. ये संकेत है सरकार के लिए कि अब इस मुद्दे को हल्के में ना लिया जाए.
HIGHLIGHTS
- क्या 'जिहादलैंड' बना रहा झारखंड का संताल?
- बांग्लादेशी घुसपैठियों से बदल रही डेमोग्राफी?
- घुसपैठ पर सियासत, बॉर्डर इलाकों में आफत!
Source : News State Bihar Jharkhand