झारखंड (Jharkhand) की राजधानी रांची से 45 किलोमीटर दूरी पर रामगढ़ के कुंदरू कला पंचायत के सरैया टांड के रहने वाले पन्ना लाल 40 तरह के पंक्षियों की आवाज निकाल सकता है. न्यूज़ नेशन की टीम को बर्डमैन पन्नालाल ने बताया कि एक पक्षी अलग-अलग समय पर कई तरह की आवाजें निकालता है, इनकी भाषा में शब्द भले ही ना हो, पर उनके लिए उनकी भावनाओं को समझना मुश्किल काम है. पन्नालाल ने सबसे पहले कौवे की आवाज निकालना शुरू किया था, अब वह 40 पक्षियों की आवाज निकालते हैं.
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जंगल के बीचोंबीच जब पन्नालाल ने मोर की आवाज निकाली तो मोर बाहर निकल कर आयी थी. पन्नालाल ने बताया कि उन्हें पक्षियों के साथ साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता है. पहले यह उनका शौक था, फिर आदत बन गयी. अब यह उनका पहचान बन चुका है. बचपन से ही घर से भागकर जंगलों में जाना इनका शौक रहा है और पक्षियों के बीच में तरह-तरह की आवाज निकालकर पंक्षियों से बात करते हैं. पन्नालाल इस काम के लिए उनका पूरा परिवार और मित्र सहयोग कर रहे हैं.
झारखंड के रामगढ़ के रहने वाले पन्नालाल महतो खेती के साथ-साथ जंगल में जाकर घंटों पक्षियों से बात करते हैं. पन्नालाल उनकी आवाज को पहचानते हैं, इनकी आवाज से पक्षी भी आसमान में मंडराने लगते हैं. पन्नालाल पक्षियों की भाषा को आसानी से समझते हैं, फिर बोलते हैं. पक्षियों से उनका गहरा रिश्ता है. आंख बंद करके पन्नालाल 40 पक्षियों की हूबहू आवाज भी निकालते हैं. इसलिए उन्हें बर्डमैन के नाम से जानते हैं.
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बर्डमैन को पक्षियों के संरक्षण और शोध करने को लेकर देश के विभिन्न राज्यों से सम्मानित भी किया गया हैं. करीब 20 सालों से लगातार झारखंड के अलग-अलग जंगलों में घूमकर पक्षियों को जानने का काम पन्ना लाल उर्फ बर्डमैन के द्वारा किया जा रहा है, ताकि पक्षियों के बारे में विस्तार से जान सके. बर्डमैन पन्नालाल का कहना है कि झारखंड में विलुप्त हो रहे पक्षियों को बचाना ही उनका मकसद है. लगातार पक्षियों के संरक्षण के लिए नई तकनीक सीख रहे हैं और देश-विदेश के विभिन्न पक्षियों का शोध करना चाहते हैं,
रामगढ़ के कुंदरू सरैया गांव के जंगल में यूरेशियन उल्लू को चील ने हमला कर दिया था, जिससे वह जमीन पर गिर गया था. इस बीच पन्नालाल को पता चला तो पन्नालाल ने उनकी जान बचायी. उस उल्लू का उपचार भी किया, इसकी हालत अभी पूरी तरह से से बेहतर है. इस तरह विलुप्त यूरेनियम उल्लू को जल्द ही जंगल में छोड़ दिया जाएगा. पन्नालाल बताते हैं कि पक्षियों को जब किसी जीव जंतु से जान का खतरा होता है या उनकी बिल्डिंग का समय आता है, तब यह कोड वर्ड में बात करते हैं. आगे वह कहते हैं कि 20 साल से भी अधिक समय पक्षियों के साथ गुजारे हैं, इनके साथ रहन-सहन खान-पान जैसी भारी चीजों पर शोध किया है. पन्नालाल का दावा है कि वह यह भी बता सकते हैं कि कौन सी पक्षी कब किस मौसम में अंडा देगी.