अगर जोश, जज्बा और जुनून हो तो दिव्यांगता या शारीरिक कमजोरी कभी अभिशाप नहीं बन सकती है. इसे साबित कर दिखाया है, चतरा के सोमजश ने, जिन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर एसएससी की परीक्षा पास कर इनकम टैक्स में जॉब पाया है. आपने सुना ही होगा कि अगर ठान लो तो कुछ भी असंभव नहीं है. मोबाइल पर तेजी से चलती उंगलियां और फर्राटेदार शब्दों में जवाब, जिसे देखकर कोई भी नहीं कहेगा कि सोमेश पांडे नेत्रहीन हैं. ये उनकी प्रतिभा ही है, जिसकी चमक एसएससी से लेकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट तक पहुंची और सोमेश ने ना सिर्फ एसएससी की परीक्षा को पास किया, बल्कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट मे जॉब भी पाया. वहीं, नेत्रहीनता की बात करें तो टंडवा के सिसई गांव के रहने वाले सोमेश पांडे, इसे कोई चुनौती नहीं मानते.
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चतरा के सोमेश ने भरी हौसलों की उड़ान
सोमेश तीन भाईयों मे सबसे छोटे हैं. बड़े भाई प्रवेश पांडे मेहनत मजदूरी कर घर परिवार चलाते हैं, तो वहीं मंझले भाई सुदन पांडे हाथ से दिव्यांग हैं, तो सोमेश आंखों से. सोमेश बचपन से ही नेत्रहीन हैं, लेकिन हौसलो के नहीं. लिहाजा दसवीं के परीक्षा पास करने बाद पिता की मृत्यु हो गई और फिर दो वर्षों बाद मां भी छोड़कर चली गई. माता-पिता के असमय चले जाने से सोमेश टूट गये. तब ऐसा हुआ कि सोमेश सहित घर वालों को लगा कि अब वे कुछ नहीं कर पायेंगे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. जब इसकी खबर सांसद सुनील सिंह को मिली, तो उन्होंने मदद के लिए हाथ बढ़ाया और सोमेश के पढ़ाई के प्रति लग्न को देखते हुए दिल्ली भेजा. जहां दिल्ली यूनिवर्सिटी से सोमेश ने ब्रेन लिपी के जरिए हिस्ट्री ऑनर्स लिया और वर्तमान में पढ़ाई कर रहे हैं. इसी दौरान सोमेश ने एसएससी का परीक्षा दिया, जिसमें वे सफल हुए और उनका चयन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में हुआ है.
नेत्रहीनता को नहीं बनने दिया बाधा
सोमेश अपनी इस सफलता पर सांसद सहित अपने भाई को श्रेय देना नहीं भूलते. वे कहते हैं कि माता-पिता के अकस्मात मौत ने झकझोर कर रख दिया. इस मुश्किल समय में सांसद ने पहल कर हमारी परिस्थितियों को समझा. इसी का नतीजा है कि आज हम इस परीक्षा को पास करने के काबिल बनें. सोमेश कहते हैं कि उनका लक्ष्य एसएससी नहीं है, बल्कि उनका लक्ष्य यूपीएससी है. जिस यूपीएससी की परीक्षा को पास कर वे आईएएस अधिकारी बनना चाहते हैं.
बहरहाल, सोमेश उन युवाओं के लिए मिसाल हैं, जो शारिरिक कमजोरी को अभिशाप मानकर खुद से हार बैठते हैं. अगर मन में लगन हो, दिल में जोश और दिमाग में सही रास्ते पर चलने का क्लियर रूट हो तो सफलता जरूर मिलती है. सोमेश भी कहते हैं कि मंजिल चाहे कितनी भी ऊंची क्यों ना हो, लेकिन उसके रास्ते हमेशा पैरों के नीचे होते हैं.
HIGHLIGHTS
- चतरा के सोमेश ने भरी हौसलों की उड़ान
- नेत्रहीनता को नहीं बनने दिया बाधा
- मेहनत से बना इनकम टैक्स ऑफिसर
Source : News State Bihar Jharkhand