कहते हैं एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती है और बोकारो के कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में शिक्षा विभाग ने इसी कहावत को अमल में लाकर बच्चों की शिक्षा और उनके भविष्य को नई दिशा देना का काम कर रही है. बोकारो का कस्तूरबा आवासीय विद्यालय आज ना सिर्फ जिले बल्कि प्रदेश के किसी भी बड़े प्राइवेट स्कूल को टक्कर दे रहा है. शिक्षा विभाग की पहल ने स्कूल की दशा के साथ बच्चों की पढ़ाई की दिशा दोनों ही बदल दी है.
बदला स्कूल का लुक
झारखंड में शिक्षा की बदहाली की तस्वीरों के बीच बोकारो के कस्तूरबा आवासीय स्कूल की तस्वीर किसी उम्मीद की किरण से कम नहीं है. स्कूल को पूरी तरह से पेंटिग्स से सजा दिया गया है. ये पेटिंग्स जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण की समस्या, मानव शरीर और अलग-अलग देशों के राष्ट्रीय ध्वज से लेकर तमाम तरह की जानकारियां दे रही हैं. इससे स्कूल का लुक तो बदला ही है अब छात्राओं के लिए नई चीजें सीखना भी आसान और दिलचस्प हो गया है. इतना ही नहीं स्कूल के रंग-रोगन से छात्रों की रुचि भी पढ़ाई में बढ़ गई है. जिसका नतीजा है कि कभी प्राइवेट स्कूल में पढ़ने का सपना देखने वाले छात्र भी इस स्कूल में पढ़ने में दिलचस्पी दिखाने लगे हैं.
बेहतर शिक्षा के लिए कोशिश
बोकारो के डीसी की मानें तो बेहतर शिक्षा के लिए स्कूल में ये कोशिश की गई है. स्कूल की दीवारों को लर्निंग म्यूजियम की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. ताकि बच्चे ज्यादा से ज्यादा पढ़ाई कर सकें और स्कूल में ड्रॉपआउट छात्रों की संख्या भी कम हो. जिला प्रशासन की पहल का नतीजा भी दिख रहा है. स्कूल वार्डन के मुताबिक स्कूल को इस तरह से आकर्षक बनाने से यहां छात्राओं की संख्या बढ़ गई है.
छात्रों के भविष्य की बात
जिस स्कूल में ड्रॉपआउट एक बड़ी समस्या की तरह थी. आज वहां छात्राओं की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और इसका श्रय जिला प्रशासन को जाता है. उम्मीद है कि बोकारो की तरह ही प्रदेश दूसरे जिले के अधिकारी भी स्कूलों की दशा बदलने की पहल करेंगे ताकि छात्रों के भविष्य की दशा बदली जा सके.
रिपोर्ट : संजीव कुमार
HIGHLIGHTS
- बदल रही शिक्षा की तस्वीर...
- प्रशासन की पहल से बदली स्कूल की दशा
- दीवारों को बनाया लर्निंग म्यूजियम
- पढ़ाई में बढ़ी छात्राओं की दिलचस्पी
Source : News State Bihar Jharkhand