गुमला जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में कई गांव में ऐसी परिस्थितियों देखने को मिलती है, जहां लोगों का जीवन काफी मुश्किल से चल रहा है. गांव में ना तो जाने के लिए सही रूप से सड़क की सुविधा हो पाई है और ना ही गांव में कोई अन्य सुविधा बहाल हो पाई है. ऐसे में लोगों का स्पष्ट मानना है कि आजादी के लंबे समय बाद भी उनके गांव तक आज तक मूलभूत सुविधा भी नहीं पहुंच पाई है. जिसके कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
इलाके में सड़क तक नहीं
गुमला झारखंड का एक ऐसा आदिवासी बहुल जिला है. जिसके विकास के लिए सरकार हर साल करोड़ों रुपए खर्च तो करती है लेकिन धरालत की सच्चाई को देख तो यही साबित होता है कि करोड़ों की ये विकास योजनाएं सिर्फ फाइलों पर ही चलती हैं. आलम ये है कि विकास तो दूर लोगों को चलने के लिए एक अदद सड़क तक नसीब नहीं. जिले के कई इलाकों में आज तक लोगों को सड़क नसीब नहीं हुई है. लिहाजा लोग जर्जर पथरीली सड़कें या कीचड़ युक्ता रास्ते के भरोसे आवाजाही करने को मजबूर है. चाचाली गांव में भी लोग लंबे समय तक सड़क निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों को सुनने वाला कोई नहीं है. बिना सड़क के कैसे यहां के ग्रामीण गुजारा करते हैं उन्हीं की जुबानी सुनिए.
इलाज भी भगवान भरोसे
बिना सड़क के हालात ऐसे हैं कि गांव में अगर कोई बीमार पड़ जाए तो उसका इलाज भगवान भरोसे होता है. कई बार शहर ले जाने में देरी होने से मरीजों की मौत भी हो चुकी है. गांव में कई ऐसे छोटे-छोटे नदी नाले हैं, जिस पर पुलिया बनाकर लोग जैसे-तैसे जान जोखिम में डालकर आवाजाही करते हैं. कई बार लोग हादसे का शिकार भी हुए हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं गया. ये हालात तब है जब जिले के प्रभारी मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव भी आदिवासी समाज से आते हैं. बावजूद यहां की दुर्दशा बताने को काफी है कि यहां विकास के लिए सरकार कितनी गंभीर है. कई बार अधिकारियों को भी समस्या की जानकारी दी गई लेकिन ग्रामीणों की सुध लेने की जहमत किसी ने नहीं उठाई.
जिले के डीसी के आश्वासन के बाद लोगों को एक बार फिर उम्मीद जरूर मिली है कि शायद अब उनके दिन बुहर जाएंगे, लेकिन देखना ये होगा कि डीसी का अश्वासन सिर्फ आश्वासन ही रहता है या इसपर कोई कार्रवाई भी होती है.
रिपोर्ट : सुशील कुमार सिंह
HIGHLIGHTS
- गुमला में करोड़ों की विकास योजनाएं सिर्फ फाइलों पर
- आज भी मूलभूत सुविधाएं नहीं
- इलाके में सड़क तक नहीं
Source : News State Bihar Jharkhand