धनबाद के बालिका आवासीय विद्यालय में कुव्यवस्थाओं का अंबार है. 11वीं की छात्राओं के लिए न तो किताब है और न ही शिक्षक उपलब्ध हैं. छात्राएं रात को जमीन पर सोती हैं. यहां पढ़ने वाली सातवीं की छात्राओं को देश के प्रधानमंत्री तक का नाम नहीं पता. ऐसे में यहां की शिक्षा भगवान भरोसे है. झारखंड सरकार एक तरफ स्कूलों को बेहतर और शिक्षा व्यवस्था को वर्ल्ड क्लास बनाने के दावे कर रही है तो वहीं दूसरी ओर धरातल की सच्चाई इन दावों और वादों से कोसो दूर हैं.
आवासीय विद्यालय में कुव्यवस्थाओं का अंबार
धनबाद जिले के बाघमारा स्थित बालिका आवासीय विद्यालय में बदइंतजामी की भरमार है. ये स्कूल 6 सालों से संचालित हो रहा है यहां 6ठीं से 11वीं तक की पढ़ाई होती है, लेकिन यहां के छात्रों का भविष्य अंधकार में है. क्योंकि स्कूल के नाम पर यहां सिर्फ चार दिवारी है. छात्रों के पास ना तो किताबें हैं और ना ही पढ़ाने के लिए कोई शिक्षक है.
11वीं की छात्राओं के लिए उपलब्ध नहीं है किताब
बाघमारा प्रखण्ड प्रमुख गीता देवी और उपप्रमुख रंजीत सिंह जब आचनक औचक निरीक्षण के लिए स्कूल पहुंचे तो स्कूल की कमियां उजागर हुईं. इस स्कूल में एक मात्र शिक्षक हैं, जिन्हें कॉन्ट्रेक्ट पर नियुक्त किया गया है. छात्राओं के बैठने के लिए बेंच डेस्क की भी व्यवस्था नहीं है. छात्राएं जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. वहीं, हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं को भी जमीन पर ही सोना पड़ता है. आवासीय स्कूलों में सुविधाएं देने की बात सरकार करती जरूर है, लेकिन इस पर अमल कितना होता है ये यहां के हालात देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है.
शिक्षकों की कमी से जूझ रहा स्कूल
जांच के लिए पहुंचे प्रमुख और उपप्रमुख ने कहा कि स्कूल में भारी कमियां पाई गई है. पंचायत समिति की बैठक में इन मुद्दों को उठाया जाएगा. वहीं, प्रखण्ड के शिक्षा पदाधिकारी भी जब निरीक्षण के लिए स्कूल पहुंचे तो बदइंतजामी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि मामले की जानकारी विभाग को दे दी गई है. जल्द समस्याएं दूर की जाएंगी.
रिपोर्ट नीरज कुमार
HIGHLIGHTS
- आवासीय विद्यालय में कुव्यवस्थाओं का अंबार
- 11वीं की छात्राओं के लिए उपलब्ध नहीं है किताब
- शिक्षकों की कमी से जूझ रहा स्कूल
- रात में जमीन पर सोती हैं छात्राएं
Source : News State Bihar Jharkhand