अगर हौसले बुलंद हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. कोई भी मुश्किल आपको रोक नहीं सकती है. कहते हैं कि भगवान ने हर किसी को एक हुनर दिया है. सब में अलग अलग खूबियां होती हैं. रांची के सूरज ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. जिसे देख लोग उसकी तारीफ करते नहीं थक रहें हैं. जन्म से ही उसके हाथ पैर नहीं है लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और आज उन्होंने अपना एक अलग नाम बनाया है. एक चित्रकार के रूप में लोग उन्हें अब पहचानते हैं.
कहते है कि कला इंसान के हाथों में होती है मगर सूरज ने तो ये कहावत ही बदल दी बिना हाथ के ही उनके पास कला है उनके बनाए गए चित्र की लोग तारीफ करते है थकते हैं. जन्म से हाथ-पैर ना होने के बावजूद रांची के सुकुरहुट्टू गांव के रहने वाले सूरज नायक जब कोरे कागज पर रंग भरना शुरू करते हैं तो देखने वाले दंग रह जाते हैं. सूरज की उम्र महज़ 18 वर्ष की है. दिव्यांग होने के बावजूद सूरज खूब चित्रकारी करते हैं.
खुद के हाथ पैर ना होने की वजह से कहीं आने जाने के लिए सूरज को दूसरों के कंधे की जरूरत पड़ती है. बावजूद इसके सूरज के हौसले काफी बुलंद हैं. सूरज नायक एक नामी चित्रकार बन कर देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना चाहते हैं. लेकिन सूरज के घर की माली हालात ठीक नहीं है. मां कांति देवी ने बताया कि पैसों के अभाव के कारण वे सूरज को पढ़ाने और चित्रकारी के हुनर को बढ़ावा नहीं दे पा रही हैं. जन्म से दिव्यांगता के साथ आर्थिक तंगी से जूझ रहे सूरज नायक ने अपने आत्मविश्वास के बल पर आज खुद की एक छोटी सी पहचान बनाई है. अगर सरकार के तरफ से सूरज की मदद की जाएगी तो उसके सपनों को उड़ान मिल जाएगी .
रिपोर्ट - महक मिश्रा
Source : News State Bihar Jharkhand