साहेबगंज जिले में आधुनिकीकरण की एक विडंबना है कि एक तरफ विकास हुआ है तो दूसरी तरफ वर्ग-भेद, गरीबी और भुखमरी बढ़ी हैं. आपको बता दें कि जिले के तालझारी व बोरियो प्रखंड क्षेत्र में निवास कर रहे लोहार समुदाय आधुनिकता की मार झेल रहे हैं. लोहार समुदाय का पुस्तैनी रोजगार चौपट हो गया है. कुछ दशक पूर्व में प्रकृति प्रेमी लोहारा समुदाय के बनाये औजारों का इस्तेमाल खेती-बाड़ी, घरेलू काम काज में होता था, लेकिन कृषि के इतने आधुनिक औजार बन चुके हैं कि समाज मे लोहार के पुस्तैनी धंधे की पूछ कम हो रही है, जिससे लोहार समुदाय इन दिनों संकट के दौर से गुजर रहे हैं. समुदाय के लोग जीने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. दो जून की रोटी जुगाड़ करना मुश्किल हो रहा है.
आपको बता दें कि यह समुदाय एक ऐसा समुदाय है कि वह आग की भट्टी में तप कर लाल हुए लोहे को ठोक-पिटकर चमक पैदा कर देता है. कभी उस समुदाय के परिवारों में भी चमक दिखती थी, लेकिन वर्तमान में आधुनिकता की मार से लोहार की भट्टी में आग धीमी पड़ने के साथ ही लोहे को ठोकने पीटने की आवाज कम हो गयी है. लोहार समुदाय के औजार बनाने का कारोबार पूरी तरह फीकी पड़ गयी है. लोहार समुदाय के लिए अशिक्षा भी मुसीबत बन गयी है. जानकारी के अभाव में राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजनाएं इनलोगों तक पहुंच नहीं रही है, जिससे लोहार समुदाय के लोग बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
आगे लोहार समुदाय में गरीबी एवं आर्थिक स्थिति को देखते हुए लोहार समुदाय के साहेबगंज जिले के कोषाध्यक्ष सुसेन लोहा व अध्यक्ष सोनाराम मडैया ने बताया कि बोरियो तालझारी एवं प्रखंड में 400 से अधिक परिवार जीवन यापन कर रहे हैं. इस परिस्थिति में शासन प्रशासन को समुदाय की ओर नजरें इनायत करने की दरकार है. सरकार को लोहरा समुदाय के लिए सार्थक पहल करने की जरूरत है ताकि आधुनिक युग में भी समुदाय को बेहतर रोजगार उपलब्ध हो सके.
Source : News Nation Bureau