झारखंड के दूलसुलमा स्कूल ने पेश की स्वच्छता की मिसाल

झारखंड में जहां एक ओर कई स्कूल बिना भवन के या जर्जर भवनों में चल रहे हैं, वहीं पलामू जिले के सतबरवा प्रखंड के दूलसुलमा स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय ने देश के सामने स्वच्छता और समग्र विकास की एक मिसाल पेश की है.

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Dalchand Kumar
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झारखंड के दूलसुलमा स्कूल ने पेश की स्वच्छता की मिसाल

झारखंड के दूलसुलमा स्कूल ने पेश की स्वच्छता की मिसाल( Photo Credit : IANS)

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झारखंड में जहां एक ओर कई स्कूल बिना भवन के या जर्जर भवनों में चल रहे हैं, वहीं पलामू जिले के सतबरवा प्रखंड के दूलसुलमा स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय ने देश के सामने स्वच्छता और समग्र विकास की एक मिसाल पेश की है. नीति आयोग ने ट्विटर पर इस विद्यालय की तस्वीरें शेयर कर पलामू के इस सरकारी स्कूल में स्वच्छता, स्वास्थ्य और समग्र विकास को लेकर किए गए प्रयासों के सराहना की है. नीति आयोग ने अपने इस ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री कार्यालय नीति आयोग के वरीय अधिकारियों, मानव संसाधन विकास विभाग, झारखंड के मुख्यमंत्री सहित अन्य लोगों को टैग करते हुए लिखा कि स्वच्छ भी, स्वस्थ भी. इस स्कूल द्वारा अपनाई गई विधि बहुत उत्तम है और (पलामू) जिले के उन्नत भविष्य के लिए एक जन आंदोलन का रूप है.

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दूलसुलमा विद्यालय में क्लासरूम की दीवारों पर छोटे बच्चो को पढ़ाने के लिए हिंदी-अंग्रेजी वर्णमाला को दीवारों पर दर्शाया गया है. फूल-पौधे, नल-जल ,बिजली के साथ पुस्तकालय और दिव्यांग छात्रों के लिए कुर्सी का शौचालय तथा छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय का स्थान जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए इस विद्यालय को सराहा गया है. सरकारी स्कूल के इस कायाकल्प का श्रेय स्कूल की प्रधानाध्यापिका अनिता भेंगरा को जाता है. इस विद्यालय में करीब 15 वर्षो से सेवा दे रहीं भेंगरा पलामू के प्रसिद्ध सेक्रेड हार्ट स्कूल में सेवाएं दे चुकी हैं.

उन्होंने विद्यालय में कार्यभार संभालते ही संकल्प लिया कि इस विद्यालय को निजी स्कूल की तर्ज पर विकसित करेंगे. धीरे-धीरे उन्होंने आसपास के बच्चों को विद्यालय में जोड़ने का प्रयास शुरू किया, बच्चों को जागरूक किया. स्वास्थ्य और सफाई को पहली प्राथमिकता बनाया. अपने शिक्षक साथियों की सहायता से योजनाबद्ध तरीके से काम शुरू किया. समय के साथ विद्यालय में शिक्षकों की संख्या घटती गई, लेकिन उनके हौसले कम नहीं हुए.

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भेंगरा कहती हैं, 'उनके सहकर्मी अनिल कुमार गुप्ता सेवानिवृत्त हो गए. अर्पण कुमार गुप्ता का चयन दूसरे विद्यालय में हो गया और तत्कालीन प्रधानाध्यापक मृत्युंजय पाठक का स्थानांतरण हो गया. इस दौरान छात्रों की एक टीम तैयार की.' वे कहती हैं कि स्कूल के छात्रों को अंग्रेजी प्रार्थना, अंग्रेजी में परिचय देना, ग्रुप सांग, एकल गान, कन्वर्सेशन, पेंटिंग इत्यादि सिखाया. उनसे सहयोग लेकर निचले क्लास के बच्चों को पढ़ाने में मदद ली, क्योंकि विद्यालय में उनके अलावा केवल दो पारा (नियोजित शिक्षक) और एक सहायक शिक्षिका ही रह गए थे.

इसके बावजूद दृढ़निश्चयी भेंगरा ने स्कूल में फूल-पौधे लगवाए, नल, बिजली, शौचालय, पुस्तकालय को विकसित किया, विकलांग बच्चों के लिए अलग शौचालय, बच्चियों के लिए अलग शौचालय जैसे नवीन प्रयोग किए. विद्यालय को प्रसिद्धि उस समय मिली जब विद्यालय के पुराने शिक्षक अर्पण कुमार गुप्ता ने विद्यालय में किए जा रहे अभिनव प्रयोगों की तस्वीरें अपने कैमरे में कैद कर सोशल मीडिया पर डाल दिया. विद्यालय की प्रधानाचार्या अनिता भेंगरा ने विद्यालय की इस सफलता का श्रेय शिक्षकों, स्कूल के छात्रों और समिति के लोगों को दिया दिया है. उन्होंने कहा कि सामूहिक प्रयास से यह मुकाम मिला है. 

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इधर, पलामू जिला प्रशासन भी इस स्कूल की तारीफ कर रहा है. पलामू के उपायुक्त शांतनु कुमार अग्रहरि ने स्कूल की प्रधानाचार्य के कार्यो की तारीफ करते हुए आईएएनएस से कहा कि जिला प्रशासन स्कूल की प्रधानाचार्य को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करेगा. उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि अन्य विद्यालय भी इस विद्यालय से सीख लेकर ऐसा कार्य करेंगे.

Source : IANS

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