दुमका जिले के शिकारीपाड़ा अंचल में प्रस्तावित कोल ब्लॉक को लेकर ग्रामीणों का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस बावत सरसडंगाल हटिया परिसर में ग्रामीणों ने रविवार को बैठक कर आंदोलन को धारदार बनाने को रणनीति बनायी. बैठक में 22 गांव की महिला, पुरुष एवं बच्चे पारंपरिक हरवे-हथियार से लैस ग्रामीण विरोध कर रहे थे. ग्रामीणों ने जान देंगे पर जमीन नहीं देंगे, कोल ब्लॉक कंपनी, सीओ एवं सरकार विरोधी नारे बुलंद कर अपना विरोध प्रदर्शन दर्ज कराया.
प्रशासन ग्रामीणों को लेकर अपनी जमीन कोल ब्लॉक को देने के लिए लगातार मान-मनौव्वल कर रही है. जिससे क्षेत्र में समुचित विकास हो सके. लेकिन ग्रामीण टस से मस नहीं हो रहे हैं. इस बीच ग्रामीणों ने प्रशासन का जमकर विरोध करते हुए जान देंगें जमीन नहीं देगें का नारा बुलंद किया.
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ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि कोल ब्लॉक के लिए अपनी जमीन नहीं देंगे, चांहे इसके लिए हमारी जान क्यों न चली जाए. यहां बता दें कि उत्तर प्रदेश के बीसीसीएल कोल माइंस कंपनी द्वारा अधिग्रहित होना है. ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार पहले मसानजोर डैम से विस्थापित 45 हज़ार लोगों को उचित न्याय देकर मुआवजा दे.
सरकार टाल मटोल का रणनीति अपनाकर लोगो को भर्मित कर विकास के नाम पर विनास पर जुटी हुई है. ग्रामीण किसी भी कीमत पर अपनी जमीन कंपनी को नहीं देंगे. इस विरोध प्रदर्शन में ग्राम प्रधान सोलेमान मरांडी, प्रधान हांसदा, सनत टुडू, सूरज हांसदा, बालेश्वर मुर्मू, गिरीश मुर्मू, कार्तिक हेम्ब्रम, सोम मुर्मू, डॉक्टर किस्कू, रमेश किस्कू, सिरवय हांसदा, सनातन सोरेन सहित दर्जनों ग्रामीण उपस्थित थे.
Source : Bikash Prasad Sah