चुनाव आयोग (Election Commission) ने खदान लीज मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Jharkhand Chief Minister Hemant Soren) को नोटिस भेजा है. जिसके बाद बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ गई हैं. इस नोटिस में चुनाव आयोग (Election Commission) ने उनसे सवाल पूछा है कि खदान का पट्टा उनके पक्ष में जारी हुआ है, ये पद के दुरुपयोग का मामला भी बनता है. ऐसे में उनके खिलाफ क्यों न कार्रवाई की जाए? चुनाव आयोग ने याद दिलाते हुए कहा है कि ये मामला पहली नजर में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के धारा-9A उल्लंघन का प्रतीत होता है.
चुनाव आयोग (Election Commission) ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Jharkhand Chief Minister Hemant Soren) को अपना पक्ष रखने के लिये 10 मई तक का समय दिया है. आपको बता दे कि धारा-9A सरकारी अनुबंधों के लिये अयोग्यता से संबधित है. जानकारी के अनुसार चुनाव आयोग (Election Commission) ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जारी नोटिस की कॉपी राजभवन और बीजेपी दफ्तर को भी भेजा है.
जेएमएम ने दी ये सफाई
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इस मामले में सफाई दी है. जेएमएम ने कहा है कि ये मामला धारा-9A के दायरे में नहीं आता है. जेएमएम ने कहा है कि हेमंत सोरेन अपना पक्ष रखेंगे. इसके लिए चुनाव आयोग ने समय भी दिया है, ऐसे में परेशान होने जैसी कोई बात नहीं है.
ये भी पढ़ें: बढ़ती गर्मी से राहत, अगले 6-7 दिनों तक नहीं बढ़ेगा तापमान
ये है पूरा मामला
गौरतलब है कि रांची के अनगड़ा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 88 डिसमिल जमीन पत्थर खदान के लिये लीज पर लिया है. पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस मामले का खुलासा करते हुए मुख्यमंत्री के साथ–साथ खान मंत्री होने के बावजूद अपने नाम पर खदान लीज लेने के मामले को पद का दुरुपयोग बताया था. साथ ही ये भी कहा कि ये लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा-9A के दायरे में आता है. इसके तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता को रद्द करनी चाहिये.
HIGHLIGHTS
- मुश्किल में हेमंत सोरेन
- खदान लीज मामले में नोटिस
- चुनाव आयोग ने जारी किया नोटिस
Source : News Nation Bureau