यहां के किसान कर रहे ऑर्गेनिक हल्दी की खेती, हर एक परिवार करता है व्यवसाय

सरायकेला जिला के खरसावां प्रखंड के रायजेमा से कुचाई के गोमियाडीह तक पहाड़ियों की तलहटी पर बसे गांवों में बड़े पैमाने पर परंपरागत तरीके से हल्दी की खेती होती है.

author-image
Jatin Madan
New Update
saraikela news

गांव का हर परिवार कर रहा हल्दा का व्यवसाय.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)

Advertisment

सरायकेला जिला के खरसावां प्रखंड के रायजेमा से कुचाई के गोमियाडीह तक पहाड़ियों की तलहटी पर बसे गांवों में बड़े पैमाने पर परंपरागत तरीके से हल्दी की खेती होती है. बड़ी संख्या में आदिवासी लोग हल्दी की खेती से जुड़े हैं. पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यह हल्दी की खेती के लिए अनुकूल भी है, लेकिन सरकारी मदद न मिलने से किसानों में निराशा है. झारखंड का सरायकेला-खरसावां जिला एक बार फिर देशभर में सुर्खियों में है. दरअसल, यहां की धरती पर उत्पादित देसी हल्दी स्वाद के साथ सेहत भी सुधार रही है. जिले के खरसावां प्रखंड मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर पहाड़ की तलहटी में स्थित जनजाति बहुल रायजेमा में ऑर्गेनिक हल्दी की खेती हो रही है. यहां का आदिवासी समुदाय बिना किसी रासायनिक उर्वरक के पारंपरिक तरीके से हल्दी उपजा रहा है. रायजेमा गांव की हल्दी को देश के विभिन्न क्षेत्रों से लोग पसंद कर रहे हैं.

परंपरागत तरीके से हो रही हल्दी की खेती

रायजामा गांव के सभी परिवार हल्दी खेती करते हैं, हल्दी जब तैयार हो जाती है तो गर्म पानी से इसे पकाया जाता है. फिर धूप में सुखाया जाता है. सूख जाने पर ठेकी से पाउडर बनाकर बाजार में बेच दिया जाता है. इस काम के लिए परिवार के बच्चे नौजवान बूढ़े सब एक साथ काम करते हैं. आज के आधुनिक युग में भी लकड़ी से बने ठेकी द्वारा हल्दी पाउडर तैयार होना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है. सरकार ने अब तक इन परिवारों को कोई सुविधा नहीं दी. जिसके चलते इस गांव में हल्दी की खेती बन्द हो सकती है. गांव की सभी महिलाओं ने एक समिति बनाई है, समिति में बैठक कर सरकार को आवेदन देगी.

यह भी पढ़ें : Politics: सीएम सोरेन के बयान पर झारखंड में सियासी घमासान, BJP हुई हमलावर

किसानों को सरकारी मदद का इंतजार

सरकार हर गांव में प्रधानमंत्री आवास, सिंचाई के लिए चेक डेम, सड़क आदि सुविधाएं उपलब्ध कराती है, लेकिन रायजामा गांव के आदिवासी किसानों के लिए सिंचाई की सुविधा भी नहीं है. किसानों को आवासीय योजना का लाभ भी नहीं मिला है. ऐसे में किसानों को हल्दी की खेती करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. अब किसानों को राज्य सरकार से मदद की दरकार है. अगर सरकार इस गांव में सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराती है और किसानों को हल्दी पिसाई की मशीन मिलती है तो पैकिंग के साथ शहरों में शुद्ध हल्दी बेचा जा सकता है. इसमें आदिवासी किसानों को ज्यादा लाभ मिलेगा. यानि किसान अपनी मेहनत से तो रंग ला ही रहे हैं. वहीं, अगर सरकार की तरफ से हाथ बढ़ा दिया जाए तो हौसलों की उड़ान में पंख लग जाएंगे. फिलहाल अभी गांव के किसानों को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना में लाभ मिलने का उम्मीद है.

HIGHLIGHTS

  • परंपरागत तरीके से हो रही हल्दी की खेती
  • किसान कर रहे ऑर्गेनिक हल्दी की खेती
  • गांव का हर परिवार कर रहा हल्दा का व्यवसाय
  • किसानों को सरकारी मदद का इंतजार

Source : News State Bihar Jharkhand

jharkhand-news Jharkhand government organic turmeric Saraikela news
Advertisment
Advertisment
Advertisment