गोमिया के संथाल आदिवासी बहुल गांव में धर्मांतरण का खेल तेजी से चल रहा है. करमाटांड़ में दो हिंदू परिवारों ने ईसाई धर्म अपना लिया, जिसकी वजह से घरवाले बीमारी से मुक्ति मिलने की बात कह रहे हैं. ग्रामीणों ने जब चर्च में पूजा करते इन परिवारों को देखा, तब मामला सामने आया. ग्रामीणों का कहना है कि भोले भाले गरीब, निःसक्त परिवारों को प्रलोभन देकर धर्मपरिवर्तन के लिए प्रभावित कर रहे हैं, लेकिन धर्मांतरण कर चुके लोग अपना-अपना तर्क देते हैं. धर्मांतरण करने वाले परिवारों का कहना है कि घर में बच्चे और वे खुद बीमार थे, जब चर्च गए तो उन पर कृपा बरसी और बिल्कुल ठीक हो गए. इसे चमत्कार माना, जिस कारण इन लोगों ने अपनी मर्जी से ईसाई धर्म को अपनाया है.
धर्मांतरण कर चुके विजय मल्हार ने कहा कि अपनी मर्जी से ईसाई धर्म को अपनाने की बात कही है. इसके साथ ही कहा कि नवजात पोता बीमार हो गया था. इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खाने के बाद थक हारकर पोते को लेकर चर्च गया, जहां फादर ने सेहत में सुधार के लिए प्रार्थना की और वह पूरी तरह ठीक हो गया. जिसे चमत्कार मानते हुए ईसाई धर्म अपना लिया. वहीं ईसाई धर्म अपना चुके दूसरे परिवार के मुखिया अशोक पासवान ने भी कहानी कुछ इसी प्रकार बताई. उसने कहा कि मैं पैरों से दिव्यांग होने के कारण पूरी तरह लाचार रहा करता था. गांव वाले भी साथ नहीं देते थे.
तंगी के कारण एक बार पत्नी हिरमती देवी के साथ चर्च गया, जहां फादर ने उन्हें प्रार्थना कराया और कहा कि प्रार्थना से उनकी दिव्यांगता दूर हो जायेगी. फिर से चलना फिरना शुरू कर देंगे, मन की सारी मुरादें पूरा होने लगेगा. जिसके बाद सपरिवार धर्मपरिवर्तन कर लिया, एक वीडियो भी सपरिवार सुनने के लिए मोबाइल में दिया गया हैं. वहीं गांव के सोनाराम बेसरा ने कहा कि प्रलोभन देकर मेरी भतीजी को भी धर्मांतरण कराया गया है. वहीं पेन्तेकोस्टल चर्च ऑफ गॉड करमाटांड़ के पास्टर कल्याण सोरेन ने बताया कि दोनों परिवार के लोग स्वेच्छा से यहां आये थे. ऐसा नहीं है कि इन्होंने पूरी तरह ईसाई धर्म अपना लिया है, प्रक्रिया को अभी पूरा नहीं किया जा सका है.
HIGHLIGHTS
. संथाल आदिवासी बहुल गांव में धर्मांतरण का खेल
. ग्रामीणों के सामने ऐसे आया इन परिवारों का सच
Source : News State Bihar Jharkhand