राज्य में विकास की बात तो की जाती है, लेकिन इसकी असल सच्चाई गढ़वा जिले में देखने को मिल रही है. जहां आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. नदियां तो हैं, लेकिन उसपर पुल नहीं बनी. रास्ते तो हैं लेकिन सड़क नहीं बनी और ना ही कोई योजना यहां के लोगों तक पहुंचती है. आज भी लोग ये आस लगाए बैठे हैं कि सरकार की नजर उनके भी जिले पर पड़े. नदी पर पुल नहीं होने के कारण ना जाने कितने लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं, लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है.
सैकड़ो गांव आज भी हैं पिछड़े
कहने को तो गढ़वा जिला देश के 112 आकांक्षी जिलों में शामिल है. पिछड़ा जिला होने के कारण केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक इस इलाके को विकसित करना चाहते हैं. कई इलाके में विकास के नाम पर सिर्फ सरकारी भवने बन रही है तो कहीं सड़को का जाल बिछाया जा रहा है, लेकिन आज भी सैकड़ो ऐसे गांव हैं जो कल भी पिछड़ा था और आज भी पिछड़ा ही है. यहां ना सड़क है ना योजना और ना ही नदियों पर पुल.
हमेशा होते रहते हैं बड़े हादसे
जिले के रंका प्रखंड के आदिवासी बहुल इलाका बाहाहारा पंचायत का भी कुछ ऐसा ही हाल है. इस गांव में ना तो सड़क है और ना ही कोई सुविधा. बता दें कि इस गांव से होकर हाथु नदी गुजरीती है, लेकिन इस नदी पर पूल नहीं होने के कारण यहां हमेशा घटनाएं घटती होते रहती हैं. गणिमत है कि पिछले दो वर्षो से यहां ज्यादा बारिश नहीं हो रही है. इसलिए घटनाएं थोड़ी कम हो गई है. ग्रामीणों ने बताया कि हर साल वोट मांगने के लिए ना जाने कितने विधायक और मंत्री यहां आते हैं, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.
HIGHLIGHTS
- आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं से हैं वंचित
- सैकड़ो गांव आज भी हैं पिछड़े
- हमेशा होते रहते हैं बड़े हादसे
- आज तक नहीं हुई कोई सुनवाई
Source : News State Bihar Jharkhand