गढ़वा जिला अब सुखाड़ की दहलीज पर आ पहुंची है, जिले में सरकारी आंकड़े की बात करें तो 55 हजार हेक्टेयर में महज 37 सौ हेक्टेयर में ही रोपाई हो पाई है. वहीं, सुखाड़ के आंकलन के लिए अब सरकार जिले मे पत्र निकाल दी है. बता दें कि गढ़वा कृषि आधारित जिला है, यहां का मुख्य पेशा सिर्फ खेती है. सरकार ने जिले को पिछले वर्ष सुखाड़ घोषित किया था. किसान अभी पिछले वर्ष सुखाड़ से उभरे भी नहीं थे कि जिले में एक बार फिर सुखाड़ ने दस्तक दे दी है. सरकारी आंकड़े की बात करें तो जिले मे 55 हजार हेक्टेयर मे इस वर्ष धान की रोपाई करने का लक्ष्य 15 अगस्त तक का था, लेकिन यह लक्ष्य बारिश के बिना धरा का धरा ही रह गया.
सुखाड़ की दहलीज पर गढ़वा
इसकी वजह सिर्फ और सिर्फ बारिश है, 11 अगस्त तक जिले में महज साढ़े छः प्रतिशत ही रोपाई हो पाई है. हाल यही रहा तो इस वर्ष जिले के अधिकतर गांव खाली हो जाएंगे और लोग पलायन को मजबूर होंगे. जिले के खरौन्धि इलाके मे भी वही हाल है. बारिश की वजह से धान की रोपाई नहीं हो पाई है. लोग जैसे-तैसे पंप के सहारे रोपाई कर रहे हैं. किसानों ने बताया कि क्या करें बारिश नहीं हो रही है, तो पंप के सहारे रोपाई कर रहे हैं.
सरकार से जगी किसानों की उम्मीद
इसके बाद भी बारिश नहीं हुई तो हमलोग टूट जाएंगे. प्रखंड के उप प्रमुख की मानें तो यहां किसान किसी तरह जी रहे हैं. खेती की स्थिति अच्छी नहीं है. सरकार को अविलम्ब राहत का काम चलाना चाहिए. जिले के कृषि पदाधिकारी ने बताया कि हमारे पास जो रिपोर्ट है, वह साढ़े छः प्रतिशत ही धान की रोपाई का है. सरकार के द्वारा एक निर्देश भी आया है कि जिले में 25 जगहों पर जियो टैगिंग करना है, जहां धान की रोपाई नहीं हुई है, वहां से रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाएगी.
HIGHLIGHTS
- सुखाड़ की दहलीज पर गढ़वा
- किसानों का हाल बेहार
- सरकारी से राहत की उम्मीद
Source : News State Bihar Jharkhand