साहिबगंज में स्वास्थ्य सिस्टम भगवान भरोसे है. मरीजों का इलाज जर्जर बिल्डिंग में चल रहा है. करोड़ों की लागत से बनने वाली निर्माणाधीन बिल्डिंग भूतों का बसेरा बनते जा रहे हैं. जर्जर बिल्डिंग और चारों ओर जंगल ही जंगल, देखने में लगता है मानो किसी हॉरर फिल्म के सेट पर हों, लेकिन ये भूत बंगला साहिबगंज में सरकारी अस्पताल है. साहिबगंज में स्वास्थ्य व्यवस्था की ये तस्वीर बताने को काफी है कि यहां का हेल्थ सिस्टम भगवान भरोसे चल रहा है. तालझारी स्वास्थ्य केंद्र अपनी ही बदनसीबी पर आंसू बहाने को मजबूर है. इस स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर तो है, लेकिन डॉक्टरों के लिए चेम्बर नहीं. मरीज भी है, लेकिन उनके लिए बेड की ठीक व्यवस्था नहीं. अस्पताल में पंखे और लाइट भी हैं, लेकिन बिजली का कोई इंतजाम नहीं. मरीजों के लिए ना दवाई का इंतजाम ना ही शौचालय की कोई व्यवस्था. कुछ है तो ये जर्जर और खंडहर हो चुकी स्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिंग जिसके सीलन लगे बदबूदार कमरे मरीजों को ठीक करने से ज्यादा बीमार कर रहे हैं.
जमीन पर लेटाकर इलाज
जर्जर बिल्डिंग के अंदर बेड ना होने से मरीजों का अस्पताल के बहार खुले जमीन पर लेटाकर इलाज किया जाता है. रोजाना 100-150 की संख्या में मरीज प्रखंड के इस अस्पताल में आते हैं, लेकिन सुविधा के अभाव में लोगों को ना तो ठीक से इलाज मिल पाता है और ना ही दवाई. निराश होकर गरीब मरीजों को भी प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ता है, लेकिन मरीजों की इस परेशानी से ना तो जनप्रतिनिधियों को कोई फर्क पड़ता है और ना ही अधिकारी उनकी सुध लेने की जहमत उठाते हैं.
भूतों का बसेरा
स्थानीय मुखिया अमीन हेम्ब्रम और दूसरे जनप्रतिनिधियों की मानें तो तालझारी स्वास्थ्य केंद्र के जर्जर बिल्डिंग को देखते हुए साल 2012 में करोड़ों की लागत से 100 बेड वाली अस्पताल की बिल्डिंग का निर्माण भी शुरू किया गया था. स्पेशल डिवीजन की देख-रेख में ये काम 2015 तक जारी रहा. इसके बाद निर्माण कार्य पूरी तरह से बंद हो गया और अब ये बिल्डिंग भी धीरे-धीरे भूतों का बसेरा बनता जा रहा है.
निर्माणाधीन भवन हुआ खंडहर
एक तरफ करोड़ों की राशि से बनने वाले स्वास्थ्य केंद्र के नए भवन का निर्माण कार्य अधर में है, लेकिन निर्माण कार्य क्यों रुका... या इसे आगे कैसे बढ़ाया जा सकता है. इसको लेकर किसी ने कोई पहल नहीं की. नतीजा है कि निर्माणाधीन भवन तो खंडहर हो ही चुका है. स्वास्थ्य केंद्र भी सुविधाओं के अभाव में लोगों के लिए सिरदर्द का कारण बन रहा है. सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर ज्यादातर गरीब आबादी निर्भर करती है. बावजूद इस केंद्रों की बदहाली की खबरें आम हो गई है. जरूरत है कि शासन-प्रशासन दावों के अलावा जमीनी स्तर पर भी कोई काम करे ताकि जनता को स्वास्थ्य व्यवस्था जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशानी ना उठानी पड़े.
रिपोर्ट : गोविंद ठाकुर
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HIGHLIGHTS
- भगवान भरोसे स्वास्थ्य सिस्टम!
- जर्जर बिल्डिंग में चल रहा मरीजों का इलाज
- करोड़ों की बिल्डिंग बनती जा रही भूतों का बसेरा!
Source : News State Bihar Jharkhand