1932 khatiyan: झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) ने हेमंत सरकार (Hemant Sarkar) को बड़ा झटका दिया है. बता दें कि राज्यपाल ने विधानसभा से पारित 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधयेक 2022 को वापस कर दिया है. इसके साथ ही राज्यपाल ने कहा कि सरकार इस विधेयक की वैधानिकता की गंभीरतापूर्वक समीक्षा करें कि यह संविधान के अनुरूप और उच्च न्यायालय के आदेशों व निर्देशों के अनुरूप हो. इसके साथ ही राज्यपाल ने स्पष्ट किया कि यह विधेयक की समीक्षा के क्रम में पाया गया है कि संविधान की धारा-16 में देश के सभी नागरिकों को नियोजन के मामले में समान अधिकार प्राप्त है.
राज्यपाल ने खतियान 1932 को किया वापिस
संविधान की धारा- 16(3) के अनुसार मात्र संसद को यह शक्तियां प्राप्त है कि वे विशेष प्रावधान के तहत धारा 35 (ए) के अंतर्गत नियोजन के मामले में किसी भी प्रकार की शर्तों का अधिकार अधिरोपित कर सकते हैं. यह शक्ति राज्य विधानमंडल को प्राप्त नहीं है. ए.वी.एस. नरसिम्हा राव और अन्य बनाम आंध्र प्रदेश व अन्य (AIR 1970 SC422) में भी इसके बारे में स्पष्ट रूप से व्याख्या की गई है. जिस वजह से यह विधेयक संविधान के प्रावधान और उच्चतम न्यायालय के आदेश के विपरीत है.
क्या है खतियान 1932
खतियान को लेकर कई लगातार विपक्ष सरकार पर हमलावर हो रहा है. आइए हम बताते हैं कि आखिर हेमंत सोरेन का मास्टर स्ट्रौक खतियान 1932 है क्या. दरअसल इस विधेयक के मुताबिक, उन लोगों को झारखंड का स्थायी निवासी माना जाएगा, जिनके पूर्वजों के नाम साल 1932 या उससे पहले के खतियान में दर्ज है. ऐसे लोगों को ही झारखंड का मूलवासी माना जाएगा और ऐसे लोगों को ही राज्य के वर्ग-3 और 4 के विरुद्ध नियुक्ति के लिए पात्र होंगे.
HIGHLIGHTS
- राज्यपाल ने खतियान 1932 को किया वापिस
- झारखंड सरकार को लगा बड़ा झटका
- वैधानिकता की समीक्षा करने की कही बात
Source : News State Bihar Jharkhand