झारखंड का लाइफलाइन कहे जाने वाले रांची के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के शीर्ष अधिकारियों की बातों में ही विरोधाभास है. रिम्स के पास अपनी एक मात्र एमआरआई मशीन है जो लंबे समय से खराब पड़ी है. इसके खराब होने से मरीजों को मुश्किल का सामना करना होता है. विडंबना ये कि रिम्स के निदेशक बताते हैं कि मशीन सही होने लायक ही नहीं है, जबकि रिम्स के सुपरिटेंडेंट बताते हैं कि इसको संचालित करने का प्रयास किया जा रहा है.
मशीन खराब होने से मरीजों को हो रही परेशानी
इसे विडंबना कहें या दुर्भाग्य कि झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल जो आम लोगों के लिए लाइफ लाइन कहा जाता है उसकी खूबियों से ज्यादा आए दिन खामियों की चर्चा ज्यादा होती है. रिम्स का अपना एक मात्र एमआरआई मशीन है, जो लंबे वक्त से यूं ही खराब पड़ी है. जब भी इससे जुड़ा सवाल पूछा जाता है तो बताया जाता है कि मशीन को सही करवाने का प्रयास चल रहा है. नई एमआरआई मशीन खरीदने की प्रक्रिया चल रही है. रिम्स के निदेशक आर के गुप्ता ने बताया कि रिम्स की एमआरआई मशीन खराब है. नई मशीन आयेगी तभी काम हो पाएगा. नई मशीन खरीदने की प्रक्रिया चल रही है. ये एमआरआई मशीन काम करने लायक नहीं है. टेंडर में तकनीकी अड़चन आ रही है.
काफी समय से खराब है MRI मशीन
वहीं, रिम्स के सुपरिटेंडेंट हीरेन बिरुआ का कहना है कि रिम्स संस्थान की अपनी एमआरआई मशीन है, वो काफी पुरानी हो चुकी है. उसकी लाइफ खत्म हो चुकी है, लेकिन किसी तरह से इसको संचालित करने का प्रयास किया जा रहा है. झारखंड के सबसे बड़ा संस्थान, जिसके निदेशक कहते हैं एमआरआई मशीन बनने लायक ही नहीं है, तो दूसरी तरफ रिम्स के सुप्रीटेंडेंट कहते हैं कि खराब मशीन को बना कर संचालित करने का काम होगा. इनके बयानों से साफ होता है कि अधिकारियों में विरोधाभास है.
रिपोर्ट : कुमार चन्दन
HIGHLIGHTS
- मशीन खराब होने से मरीजों को हो रही परेशानी
- झारखंड का सबसे बड़ा अस्पताल हैं RIMS
- झारखंड की लाइफलाइन कहा जाता है RIMS
Source : News State Bihar Jharkhand