ED Arrests Hemant Soren: इंच-इंच बेच दी सेना की जमीन...जांच हुई तो एक्सपोज हुए हेमंत सोरेन!

अब सवाल ये है कि आखिर ईडी ने हेमंत सोरेन कैसे गिरफ्तार किया है. आइए जानते हैं कि ईडी हेमंत सोरेन तक कैसे पहुंची.

author-image
Ravi Prashant
एडिट
New Update
Hemant Soren ED Arrest

हेमंत सोरेन( Photo Credit : Twitter)

Advertisment

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. सीएम के इस्तीफे के साथ ही ईडी ने उन्हें जमीन घोटाले मामले में गिरफ्तार कर लिया और रांची के ईडी कार्यालय में हाउस आरेस्ट कर दिया. बुधवार को 7 घंटे तक लगातार पूछताछ के बाद ईडी ने ये बड़ा एक्शन लिया. इसके बाद सोरेन ने राजभवन में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना इस्तीफा सौंपा. अब सवाल यह है कि ईडी ने किस जमीन घोटाले में हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया और ईडी सोरेन तक कैसे पहुंची? आइये इस आर्टिकल से कड़ी दर कड़ी समझते हैं.

बेच दी गई सेना की जमीन?
जून का महीना और साल 2022, इस साल रांची के बरायतू थाने में एक एफआईआर दर्ज हुई. यह प्राथमिकी रांची नगर निगम के टैक्स कलेक्टर दिलीप शर्मा ने दर्ज करायी. इसमें प्रदीप बागची नाम के शख्स को आरोपी बनाया गया है. एफआईआर में प्रदीप बागची पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय सेना की संपत्ति हड़पने का आरोप लगाया. इसी साल 2022 में इस मामले ने तूल पकड़ा और मामला ईडी के हाथ में चल गया. जब ईडी ने इस मामले की जांच शुरू की तो पता चला कि यह 4.5 एकड़ जमीन बीएम लक्ष्मण राव की है, जिन्होंने आजादी के बाद इसे सेना को सौंप दिया था.

ये भी पढ़ें- हेमंत सोरेन का इस्तीफा, चंपई सोरेन होंगे झारखंड के नए CM!

शुरुआती जांच में गिरफ्तार हुए छोटे प्यादें
साल बदला और नए साल 2023 में ईडी ने प्रदीप बागची समेत सात आरोपियों को गिरफ्तार किया, ईडी ने जिन सात लोगों को गिरफ्तार किया उनमें से दो अधिकारी अली और भानु प्रताप सरकारी कर्मचारी थे. अफसर अली सरकारी अस्पताल में ग्रेड-3 कर्मचारी के पद पर कार्यरत हैं, जबकि भानु प्रताप सरकारी कर्मचारी थे. बाकी सभी भू-माफिया के अवैध कारोबार से जुड़े थे और सभी फर्जी दस्तावेजों के जरिए जमीन की खरीद-फरोख्त करते थे.

ऐसे हड़पी गई सेना की जमीन?
जब ईडी की जांच तेज हुई तो जानकारी सामने आई कि प्रदीप बागची को सेना की जमीन का असली मालिक दिखाने के लिए भू-माफिया, बिचौलिए और नौकरशाहों ने मिलकर इस काम को अंजाम दिया था. जांच में पता चला कि जमीन हड़पने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किया गया था, इस फर्जी दस्तावेज में दिखाया गया कि 1932 प्रफुल्ल बागची ने यह जमीन सरकार से खरीदी है. 90 साल बाद साल 2021 में प्रफुल्ल बागची के बेटे प्रदीप बागची ने यह जमीन कोलकाता की जगतबंधु टी एस्टेट लिमिटेड को बेच दी.

ED के रडार पर कैसे आये हेमंत सोरेन?
अब सवाल ये है कि आखिर ईडी हेमंत सोरेन तक पहुंची कैसे, क्योंकि अब तक की कहानी में उनका कहीं जिक्र नहीं है. तो आइए जानते हैं कि ईडी ने कैसे लिया हेमंत सोरेन को रडार पर. मिली जानकारी के मुताबिक जगतबंधु टी एस्टेट के डायरेक्टर दिलीप घोष हैं. लेकिन जैसे-जैसे ईडी की जांच आगे बढ़ी, और भी चौंकाने वाले मामले सामने आए  ईडी की जांच में पता चला कि इस जमीन के असली मालिक जगतबंधु टी एस्टेट के निदेशक दिलीप घोष नहीं हैं, बल्कि असली मालिक हेमंत सोरेन के करीबी माने जाने वाले अमित अग्रवाल हैं. इसके बाद ईडी ने दिलीप घोष और अमित अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया.

Source : News Nation Bureau

jharkhand-news cm-hemant-soren-news Bihar Jharkhand Chief Minister Hemant Soren ed action on Hemant Soren
Advertisment
Advertisment
Advertisment