दुमका को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि मानने वाले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अब यहां से दूरी बना ली है. उन्होंने दुमका विधानसभा सीट को छोड़ दिया है और बरहेट विधानसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली. लेकिन उनके दुमका सीट छोड़ने से एक बार फिर चुनावी सरगर्मी बढ़ गई है. सबकी नजर राज्य की उपराजधानी दुमका पर फिर गढ़ने लगी है. यहां एक बार फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच बड़ी चुनावी जंग होना तय है. हालांकि पहले से ही झामुमो और बीजेपी के लिए दुमका सीट प्रतिष्ठा वाली रही है.
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2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड के अंदर पूर्वी जमशेदपुर के बाद दुमका ही सबसे हॉट सीट थी. इस सीट पर बीजेपी और झामुमो के बीच सीधा मुकाबला रहा. झामुमो की ओर से खुद हेमंत सोरेन और रघुवर सरकार में मंत्री रहीं डॉ. लुईस मरांडी चुनावी अखाड़े में उतरे. 23 दिसंबर 2019 को आए नतीजों में हेमंत सोरेन ने लुईस मरांडी को करारी शिकस्त देते हुए 2014 का बदला लिया. 2019 के चुनाव में हेमंत सोरेन ने 13 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज कर लुईस मरांडी को हराया और अपनी पुरानी सीट बीजेपी के कब्जे से छीन ली. हालांकि इससे पहले 2014 में हेमंत को लुईस मरांडी के हाथों हार झालने पड़ी थी. इस बार के चुनाव में हेमंत सोरेन ने दुमका के अलावा बरहेट विधानसभा सीट पर जीत हासिल की है.
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अब हेमंत सोरेन ने इस सीट को छोड़ दिया है. जिसके बाद अब यहां उपचुनाव होना है. उपचुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की प्रतिष्ठा दांव पर रहेगी तो बीजेपी को फिर से अवसर का लाभ उठाने का मौका मिलेगा. कयास लगाया जा रहा है कि दुमका सीट से हेमंत के छोटे भाई बसंत सोरेन उपचुनाव लड़ेंगे. दुमका सीट को काफी हॉट सीट के रूप में देखा जाता है और यहीं से राज्य के राजनीति की दशा दिशा तय की जाती है. यही वजह है कि झामुमो लगातार इस सीट को बरकार रखने के लिए अपने छोटे भाई बसंत सोरेन को प्रत्याशी बनाकर जीत का झंडा गाड़ना चाहती है. उपचुनाव के लिए झामुमो प्रत्याशी के रुप में कल्पना सोरेन के नाम पर भी चर्चा है.
Source : News Nation Bureau