गुमला में सैकड़ों एकड़ जमीन बनी बंजर, बड़े पैमाने पर हो रहा पलायन
गुमला में सैकड़ों एकड़ जमीन बंजर पड़ी है. क्योंकि ग्रामीण खेती में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. जिसका नतीजा है कि बड़े पैमाने पर जिले से पलायन हो रहा है.
गुमला में सैकड़ों एकड़ जमीन बंजर पड़ी है. क्योंकि ग्रामीण खेती में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. जिसका नतीजा है कि बड़े पैमाने पर जिले से पलायन हो रहा है. जिला प्रशासन की तमाम कोशिशों के बाद भी पलायन का सिलसिला जारी है. गुमला में ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है पलायन. एक तरफ जिला प्रशासन पलायन रोकने के लिए तमाम कोशिशें कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर खुद ग्रामीण भी खेती ना कर के पलायन पर जोर दे रहे हैं. वैसे तो जिले के ज्यादातर गावों में सरकारी सुविधाएं ना होने के चलते खेती नहीं हो पाती, लेकिन कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां तमाम सुविधाओं के साथ पर्याप्त जमीनें भी है.
खेती में ग्रामीणों की दिलचस्पी नहीं
बावजूद लोग खेती ना कर के पलायन करना ही बेहतर समझते हैं. सरकारी आंकड़ों की बात करें तो जिले में 2 लाख 38 हजार एकड़ भूमि है. जिसमें 1 लाख 88 हजार भूमि में बारिश के समय धान की खेती होती है. जबकि सिर्फ 30-35 हजार एकड़ जमीन का ही गेंहू, दलहन और सब्जी की खेती में उपयोग होता है. लिहाजा ज्यादातर जमीन बंजर पड़ी रहती है. स्थानीय किसान खेती ना करके दूसरे राज्यों में मजदूरी करने के लिए चले जाते हैं. आलम ये है कि दूसरे जिले के लोग यहां किराए पर जमीन लेकर खेती कर रहे हैं.
बड़े पैमाने पर हो रहा पलायन
वहीं, जिला कृषि विभाग के तकनीकी पदाधिकारी का कहना है कि ग्रामीणों की ओर से खेती ना करना जिले के लिए बड़ी समस्या है. इलाके में खेती की पूरी संभावना होने के बाद भी लोग खेती नहीं कर रहे. जिला प्रशासन ने किसानों को खेती के लिए जागरुक भी किया है. बावजूद किसान खेती करने में कोई रुचि नहीं दिखा रहे.
बड़े पैमाने पर लोगों के पलायन के चलते जिले में सैंकड़ों एकड़ जमीन बंजर पड़ी है. जरूरत है कि ग्रामीण सरकारी सुविधाओं की मदद से खेती पर जोर दें. ताकि अच्छा मुनाफा कमाने के साथ ही पलायन की समस्या को भी खत्म किया जा सके.