धनबाद में आदम युग की प्रथा आज भी जाती है निभाई, मिट्टी से की जाती है पूजा
भगवान के प्रति आस्था और निभाए गए रीति रिवाजों को आज भी कोयला नगरी धनबाद के बलियापुर में निभाया जा रहा है. यहां के लोग एक ऐसी पूजा करते हैं जो ना सिर्फ मनोकामना को पूरा करती है बल्कि शारीरिक कष्ट को भी दूर कर देती है.
धनबाद में लोग आज भी अपनी पुरानी परंपरा को निभा रहे हैं जो उनके पूर्वजों ने शुरू की थी. भगवान के प्रति आस्था और निभाए गए रीति रिवाजों को आज भी कोयला नगरी धनबाद के बलियापुर में निभाया जा रहा है. यहां के लोग एक ऐसी पूजा करते हैं जो ना सिर्फ मनोकामना को पूरा करती है बल्कि शारीरिक कष्ट को भी दूर कर देती है. दंतकथाओं में बंधे वर्षों पुराने रिवाज को आज भी धनबाद जिले के बलियापुर प्रखंड के पहाड़पुर गांव में निभाया जा रहा है.
मेला का भी होता है आयोजन
बांग्ला पंचांग के अनुसार माघ महीने के तीसरे दिन से शुरू हुए मां खेलाचंडी की पूजा और उसके अवसर पर मेला का आयोजन लोग हर साल करते हैं. जिसका साल भर से लोगों को इंतजार रहता है. इस पूजा को लेकर मान्यता है कि पहाड़पुर गांव के स्थित तालाब में स्नान कर वहां की मिट्टी को उठाकर बगल में गिरा कर पूजा अर्चना करने के बाद मंदिर में प्रसाद चढ़ाने से भक्तों की मांगी हुई हर मनोकामना मां खेलाचंडी पूरा करती हैं.
पूजा में सबसे पहले तालाब में करते हैं स्नान
इस पूजा में सबसे पहले तालाब में स्नान करते हैं और स्नान करने के बाद पूजा अर्चना करते हैं. साथ ही बड़े स्तर पर मेला का भी आयोजन किया जाता है. यहां मौजूद पुजारी ने बताया कि ये पूजा आदम युग में पहले पहाड़न के लोग किया करते थे लोगों का मां खेलाचंडी के प्रति आस्था अटूट था और यह पूजा आदम युग से की जा रही है. पुजारी की माने तो शारीरिक कष्ट होने वाले भक्त अगर मन्नत मांगते हैं तो मां खेलाचंडी उनके सभी कष्ट को दूर कर देती है.
इस साल पूजा के अवसर पर हुए मेले के आयोजन में ना सिर्फ पहाड़पुर गांव के लोग बल्कि आसपास के 5 से 6 गांव के लोग इसमें शामिल होकर अपनी शारीरिक कष्ट को दूर करने के लिए मां खेलाचंडी से मनोकामना मांग रहे हैं और उनकी कष्ट को निवार कर भक्तों के बीच आस्था का सैलाब मां खेलाचंडी बहा रही है.
HIGHLIGHTS
दंतकथाओं में बंधे वर्षों पुराने रिवाज को आज भी धनबाद में जाता है निभाया
शारीरिक कष्ट को दूर करने के लिए की जाती है मां खेलाचंडी की पूजा