जिन हाथों में कभी कुदाल हुआ करती थी, अब वही कलाईयों को संवारने का कार्य कर रही है. लोहरदगा जिला की ये आदिवासी महिलाओं ने शहर की सोच से कदम से कदम मिलाकर चलना सीख लिया है. लोहरदगा जिला की ये आदिवासी महिलाएं अब शहर के साथ-साथ गांव को सजाने और संवारने का गुर सीख रही हैं. जिन हाथों में कभी कुदाल, खुरपी रहता था, अब वो कलाईयां सजेंगी. जिस सिर पर ईट और अन्य सामानों का बोझ हुआ करता था, अब वो चमकेंगी क्योंकि अग्रणी बैंक ऑफ इंडिया के स्टार स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान में इन महिलाओं ने कस्टम ज्वैलरी बनाने का गुर सीख लिया है. आज की तारीख में सोना-चांदी की बढ़ती कीमतों ने इसे आम लोगों की पहुंच से बहुत दूर कर दिया है.
लोहरदगा में आत्मनिर्भर हुई महिलाएं
ऐसे में महिलाएं और युवतियां अब कस्टम ज्वैलरी की ओर बढ़ रही है. हर पार्टी और कार्यक्रम में एक से बढ़कर एक ज्वैलरी इन्हें खुबसूरत बनाता है, बल्कि सस्ते मूल्यों में इनके पसंद का ये सामान भी मिल जाता है. अपने गांव घर में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के साथ-साथ ये महिलाएं अपनी हुनर से आर्थिक स्थिति को भी सुधारने का कार्य करेंगी. प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली इन महिलाओं का आत्मविश्वास और बढ़ा है, अब ये अपने साथ-साथ गांव की दशा भी बदलने के लिए तैयार हैं.
महिलाओं का बढ़ रहा है आत्मविश्वास
अग्रणी बैंक, बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा संचालित स्टार स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है. अब तक हजारों महिलाओं को गुर सीखा कर उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने का कार्य संस्थान के द्वारा किया गया है. निःशुल्क प्रशिक्षण और अन्य सुविधाओं के साथ महिलाओं को सामाज से जोड़ने का कार्य संस्थान कर रही है.
लोहरदगा में आदिवासी महिलाओं के बढ़ते रूझान ने पलायन पर भी प्रभाव डाला है. कभी दूसरे राज्यों और घरों में काम करने वाली ये महिलाएं अब अपने पैरों पर खड़ा होना सीख रही हैं. बस जरूरत है इनके आत्मविश्वास को बनाए रखने और सरकार के द्वारा इनके उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने का काम किया जाए, ताकि इनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होने के साथ साथ इनका आने वाला कल भी सुनहरा हो.
HIGHLIGHTS
- लोहरदगा में आत्मनिर्भर हुई महिलाएं
- महिलाओं का बढ़ रहा है आत्मविश्वास
- हाथों में कभी कुदाल हुआ करती थी
Source : News State Bihar Jharkhand