कोयला कामगार का मां काली पर अटूट आस्था है. मां काली की आराधना करने के बाद ही सैकड़ो फीट नीचे भूमिगत खदान में कामगार और अधिकारी उतरते हैं. कोयला कामगारों का कहना है कि मां सदा उनकी बेटे के रूप में रक्षा करती हैं. बोकारो के सीसीएल ढोरी प्रक्षेत्र के ढोरी खास चपरी में 4-5 अंडरग्राउंड माइन्स चल रहा है. यहां प्रतिदिन सैकड़ो की संख्या में कामगार और अधिकारी माइंस के अंदर जाते हैं. माइंस के मुहाने में मां काली और मां दुर्गा की तस्वीर लगी हुई है. माइंस में प्रवेश करने से पहले कामगार मां काली के सामने शीश झुकाते हैं और उनसे यह कामना करते हैं कि मां मैं आपके भूगर्भ में आपके भरोसे जा रहे हूं. हमारी रक्षा करना, ताकि 8 घंटे का समय भूगर्भ में बिताने के बाद हम अपने घर परिवार के पास जा सकें.
हर वर्ष मां काली की होती है पूजा
कामगारों का कहना है कि जब से यह लोग यहां काम कर रहे हैं तब से प्रतिदिन नित्य यहां आराधना की जा रही है. बाहर एक मां काली का बड़ा मंदिर भी है जहां प्रत्येक वर्ष धूमधाम से मां काली की पूजा की जाती है. कामगारों का मानना है कि जिस तरह मां अपने गर्भ में 9 महीने तक अपने बच्चों को पलती है. उसके बाद उसको जन्म देती है. इसी तरह हम लोग भी अंडरग्राउंड माइन्स में मां की पेट में जाते हैं और मां ही हमारी रक्षा करती हैं.
मां काली करती हैं हमारी रक्षा
कामगारों का कहना है कि आज तक हम लोगों को एक खरोच तक नहीं आई है. सुरक्षा उपकरणों के साथ हमें मां सुरक्षा प्रदान करती है. मजदूरों का मानना है कि मां काली की पूजा करने से उनकी रक्षा होती है. उन्हें यह एहसास होता है कि उनके साथ एक दैवीय शक्ति है. यही वजह है कि कोल इंडिया के सभी 322 कोयला खदानों (138 भूमिगत, 171 खुली खदान व 15 मिश्रित कोयला खदान) में मां काली की पूजा की जाती है.
रिपोर्ट - संजीव कुमार
HIGHLIGHTS
- कोयला कामगार का मां काली पर है अटूट आस्था
- हर वर्ष मां काली की होती है पूजा
- मां काली करती हैं हमारी रक्षा
Source : News State Bihar Jharkhand