झारखंड सरकार कोयला माफियाओं पर लगाम कसने की कितनी भी कोशिश क्यों न कर ले, लेकिन अवैध कोयले का कारोबार खूब फल-फूल रहा है. आलम ये है कि अब इस गोरखधंधे ने लोगों की जिंदगियों को खतरे में डाल दिया है. धनबाद में अंधाधुंध कोयला खनन के चलते इलाके में भूधसान की घटनाएं आम हो गई है, जिससे आम लोगों में दहशत का माहौल है. जिले के कतरास थाना इलाके के आकाशकिनारी बस्ती में मंगलवार को स्थानीय उस वक्त दहशत में आ गए जब उन्हें जोरदार धमाके जैसी आवाज सुनाई दी. ग्रामीणों ने जब मौके पर आकर देखा तो पता चला यहां भूधसान हुआ है.
खोखली जमीन होने के चलते जमीन में कई फीट गहरा गड्ढा बन गया. चूंकि इस इलाके में घनी आबादी रहती है लिहाजा लोगों को अनहोनी का डर सताने लगा. हैरत की बात ये है कि जिला खनन टास्क फोर्स ने हाल ही में बैठक कर अवैध कोयला कारोबार पर रोक लगाने के लिए ताबड़तोड़ एक्शन लेने की बात कही थी, लेकिन कतरास थाना इलाके में खनन टास्क फोर्स खानापूर्ति के अलावा कुछ नहीं कर रही है. दरअसल जिस जगह पर भूधसान की घटना हुई वहां दर्जनों अवैध मुहाने हैं. यहां खुले-आम अवैध रूप से खनन किया गया कोयला बोरों में भरकर रखा गया है. कई मुहानों में तो सीढियां भी बनाई गई है, लेकिन खनन टास्क फोर्स हो या पुलिस प्रशासन, उन्हें ये दिखाई ही नहीं देता.
भूधसान की घटना से पहले 27 अगस्त को भी यहां गैस रिसाव की घटना हुई थी. इस घटना के बाद समाजसेवी विजय झा ने अवैध कोयला कटाई को लेकर पुलिस अधिकारी हो या डीआईजी सभी को पत्र के जरिए मामले की जानकारी दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. स्थानीय लोगों की मानें तो अवैध कोयला कारोबारियों की बीसीसीएल प्रबंधन और पुलिस से मिलीभगत है, जिसके चलते कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.
कोयला खनन के चलते भूधसान और गैस रिसाव की ये घटना सिर्फ धनबाद की समस्या नहीं है. झारखंड के ज्यादातर जिलों में इस तरह की घटनाएं आम लोगों के सिर दर्द का कारण है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर प्रशासन सब जानते हुए भी माफियाओं और अवैध कोयला कारोबारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं करता. अगर इन इलाकों में भूधसान जैसी घटनाओं से कोई बड़ा हादसा हुआ तो क्या प्रशासन इसकी जिम्मेदारी लेगा?
रिपोर्ट : नीरज कुमार
Source : News Nation Bureau