ऑफिस में काम से बचने का बहाना तो शायद हर कर्मचारी ने कभी न कभी बनाया होगा, लेकिन रेलवे के ट्रेन ड्राइवरों का बहाना शायद सबसे अनोखा है. एक ताजा मामला में ट्रेन के 17 ड्राइवरों नें लेसिक लेजर ऑपरेशन के जरिये जानबूझकर नजर कमजोर करवाई ताकि उन्हें ट्रेन नहीं चलाना पड़े. मामले का खुलासा खड़गपुर रेल डिवीजन में एक रेलवे के डॉक्टर ने किया है. जिसमे रांची के करीब 17 ड्राइवर भी शामिल हैं. दरअसल रांची रेल डिवीजन में काम कर रहे 17 ट्रेन ड्राइवरों की मेडिकल जांच में यह पता चला है कि उनकी दृष्टि थोड़ी कमजोर हो गई है. इसके कारण अब उन्हें रेलवे नियम के अनुसार सिर्फ लिपिक कार्य ही दिया जा सकेगा, साथ ही वेतन में 30% की वेतन बढ़ोतरी भी मिलेगी.
रेलवे ने जब इस मामले की जांच की तो असली मामला जानकर सब चौंक गए. दरअसल रेलवे के ट्रेन ड्राइवरों का बहाना शायद सबसे अनोखा है. 17 ट्रेन ड्राइवरों ने जब 5-7 साल पहले नौकरी शुरू की थी तो मेडिकल जांच में उनकी आंखों की रौशनी बिल्कुल ठीक पाई गई थी. मगर अब हुए मेडिकल जांच में सबकी दृष्टि थोड़ी कमजोर पाई गई. रांची के रेल अधिकारी का कहना है कि इस मामले की जांच चल रही है. जो भी दोषी होंगे उस पर विभागीय कारवाई की जायेगी.
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मामले का खुलासा खड़गपुर रेल डिवीजन में रेलवे के डॉक्टर ने किया. जांच में पता चला कि इन ट्रेन ड्राइवरों ने लेसिक लेजर ऑपरेशन से आंखों का पावर कम करवाया है. इसके बाद रेलवे बोर्ड ने दक्षिण-पूर्व रेलवे जोन के सभी ट्रेन ड्राइवरों की आंखों की जांच शुरू की जिसमे रांची, चक्रधरपुर, आद्रा, खड़गपुर में ऐसे कई मामले सामने आये. सभी को ऑपरेशनल ड्यूटी से हटा दिया गया है. हालांकि इस मामले के दोषी ट्रेन के ड्राईवर मीडिया के सामने आने से बच रहे हैं, लेकिन उनके साथी ड्राइवरों का कहना है कि अगर इस तरह का मामला आया है तो बिलकुल गलत है.
रेलवे के ड्राइवरों द्वारा काम से बचने का ये तरीका पुरे रेलवे महकमे में चर्चा का विषय बना हुआ है. हालांकि रेलवे अधिकारी भी इसपर कुछ ज्यादा बोलने से बच रहे हैं. लेकिन इतना तय है कि इन ड्राइवरों पर रेलवे कड़ी कारवाई करने का मन बना चुका है, फिलहाल मामले की जांच की जा रही है.
Source : मुकेश सिन्हा