छोटा नागपुर के पठार पर जंगलों से आच्छादित झारखंड में विधानसभा चुनावों की तारीखों का शंखनाद हो चुका है. निर्वाचन आयोग ने 15 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया है. यहां सभी 81 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में वोटिंग होगी. यानी कि पहले चरण में 13 नवंबर और दूसरे चरण में 20 नवंबर को मतदान किये जाएंगे. वहीं 23 नवंबर को वोटों की गिनती होगी. प्रदेश में हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की सरकार है. इस बार हेमंत सोरेन के लिए मुकाबला काफी तगड़ा होने वाला है तो वहीं कोल्हान टाइगर के लिए भी परीक्षा की घड़ी है.
इन सीटों पर होना है मुकाबला
झारखंड में विधानसभा की कुल 81 सीटों पर विभिन्न राजनीतिक अपनी जोर आजमा रहे हैं. यहां पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने के लिए जो जादुई आंकड़ा है वह 42 सीटों का है. अगर बात पिछले यानि 2019 के विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो 30 सीटों पर जेएमएम ने अपनी विजयी पताका लहराई थी. इतना ही नहीं जएमएम सबसे बड़ी पार्टी के रूप में भी उभर कर आई थी. इसके बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 25 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.
वहीं कांग्रेस 16 सीटों के साथ तीसरे, तीन सीटों के साथ झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) चौथे नंबर की पार्टी बनी थी. ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) को दो, आरजेडी, सीपीआई (एमएल) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने एक-एक सीट हासिल की थी. पिछले चुनाव में दो निर्दलीय भी विधानसभा पहुंचने में सफल रहे थे. पिछली बार सूबे की 81 सीटों के लिए पांच चरणों में मतदान हुआ था और चुनाव नतीजे 23 दिसंबर को आए थे.
कितने मजबूत हैं कोल्हान टाइगर
इस बार सोरेन परिवार में दरार आ चुकी है. कोल्हान टाइगर चंपई सोरेन यूं तो शिबू सोरेन के जमाने से ही सोरेन परिवार के करीबी रहे हैं, लेकिन अब वो भी बीजेपी के पाले में जाकर बैठ गए हैं. इतना ही नहीं हेमंत सोरेन के बड़े भाई दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन भी बीजेपी का दामन थामे बैठी हैं. जबकि 2019 में जेएमएम से विधायक बनी थीं.
पांच साल बाद क्या है नया
पिछले चुनाव की बात की जाए तो झारखंड में बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन की सरकार बनी थी. इस बार का सीन थोड़ा अलग है. यहां जेएमएम की अगुवाई वाले इंडिया ब्लॉक सत्ता की बागडोर संभाल रही है. एंटी इनकम्बेंसी तब बीजेपी को लेकर थी जो इस बार हेमंत सरकार के खिलाफ होगी. इस बार के चुनाव में पिछली बार की चौथे नंबर वाली पार्टी झाविमो का नाम-निशान नहीं है जो कि अपने आप में बड़ा सियासी बदलाव है.
बता दें कि बाबू लाल मरांडी ने पार्टी झाविमो का भाजपा के साथ विलय कर लिया था. वर्तमान में वह झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. इसके अलावा 2019 के चुनाव में बीजेपी का चेहरा रहे ओडिशा के राज्यपाल रघुवार दास इस बार एक्टिव दिखाई नहीं दे रहे हैं. कोल्हान रीजन में भी समीकरणों में बदलाव देखा गया है.
विरासत की है जंग
झारखंड में पांच साल के अंदर बहुत कुछ बदल चुका है. इस बार के विधानसभा चुनाव में एनडीए बनाम इंडिया ब्लॉक या जेएमएम बनाम बीजेपी से अधिक सोरेन परिवार के अंदर की लड़ाई है. इन चुनावों में सीएम हेमंत सोरेन के सामने एक नई चुनौती आ गई है.उन्हें यह साबित करना होगा कि शिबू सोरेन की सियासी विरासत के वारिस वही हैं. इतना ही नहीं उन्हें अपनी ही भाभी सीता सोरेन का भी चुनावी रण में मुकाबला करना पड़ेगा.