झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र का दूसरा दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गई. जहां कार्यवाही शुरू होते ही बीजेपी ने राज्य सरकार को विधि व्यवस्था के मुद्दे पर घेरा तो वहीं सत्ता पक्ष ने बीजेपी को मणिपुर के मुद्दों पर घेरा. सदन के बाहर भी पक्ष-विपक्ष के विधायकों ने जमकर एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की. हालांकि हंगामे के बाद सदन में वित्तीय वर्ष 2023-2024 का पहला अनुपूरक बजट पेश किया गया. प्रदेश के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने 11 हजार 988 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश किया. वहीं, शून्यकाल में विधायकों ने कई मुद्दों को भी उठाया.
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झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र
सबसे पहली बात मणिपुर का मामला पार्लियामेंट का है. देश के गृह मंत्री ने दोनों सदनों में कहा कि चर्चा केपी तैयार है. यहां सत्ताधारी दल सिर्फ राजनीति कर रही है. पार्लियामेंट में चर्चा में भाग लें. कांग्रेस के लोग जो यहां फरफरा रहे हैं, उन्हें अपने नेताओं को बताना चाहिए. झारखंड के सदन में झारखंड के मुद्दे पर चर्चा हो. यहां के कानून व्यवस्था पर चर्चा हो. कुछ पुलिस अफसर हैं, जो जेल में अपराधियों से बात करते हैं. सत्ताधारी दल को लोगों को यहां के बारे में चर्चा करनी चाहिए. नॉर्थ ईस्ट की समस्या आज की नहीं है. कांग्रेस के जमाने में ही इसको लेकर कानून बना था. अगर सब कुछ वहां अच्छा होता तो भारत सरकार को विशेष कानून बनाने की आवश्यकता नहीं होती. मणिपुर को लेकर केंद्र सरकार कार्रवाई कर रही है. कांग्रेस क्या चाहती है, मणिपुर को चाइना को दे दें. कांग्रेस यही तो चाहती है, जहां सदन के बाहर बाबूलाल मरांडी ने मणिपुर मामले पर पलटवार किया.
सत्र के दूसरे भी सदन में हंगामा
वहीं, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने भी कानून व्यवस्था पर बीजेपी पर निशाना साधा. बन्ना गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार विकास के लिए आगे बढ़ रही है. पूर्व की सरकार अपने बजट का हिस्सा जनता के हित में खर्च नहीं कर पाती थी और विकास योजनाएं ठप थी. विपक्ष तो लोकतंत्र के मंदिर को शर्मसार कर रहा है. वहीं, विधायक सुदिव्य सोनू ने मणिपुर की घटना को लेकर बाबूलाल मरांडी पर तंज कसा है. विधायक ने कहा कि झारखंड, राजस्थान, बंगाल और छत्तीसगढ़ के लॉ एंड ऑर्डर की तुलना वो मणिपुर से कर रहे हैं, तो उनको कहूंगा ईश्वर उनको सद्बुद्धि दे.
मणिपुर को लेकर सरकार का बीजेपी से सवाल
लोकसभा में भी झारखंड की शिक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल किया गया, जहां सांसद निशिकांत दुबे ने दो मुद्दों को उठाते हुए बेहतर शिक्षा को लेकर ध्यानाकर्षण की कोशिश की. सबसे पहले सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि राज्य में CBSE और राज्य बोर्ड अलग होते हैं, लेकिन नौकरी के क्षेत्र में अक्सर CBSE वाले बाजी मार लेते हैं. राज्य बोर्ड वाले छात्रों को शिक्षा का वो स्तर नहीं मिल पाता. इसके अलावा उन्होंने प्रदेश में शिक्षकों की कमी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि शिक्षक ना होने से ना तो स्कूलों में पढ़ाई हो पाती है, ना ही कॉलेजों में. इसके अलावा निशिकांत दुबे ने संथाल परगना में सेंट्रल युनिवर्सिटी खोलने की मांग भी की. ताकि पिछड़े इलाकों में भी बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराई जा सके. सांसद निशिकांत दुबे के सवाल का जवाब शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दिया, क्या कुछ कहा, आपको सुनाते हैं.
HIGHLIGHTS
- झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र
- सत्र के दूसरे भी सदन में हंगामा
- मणिपुर को लेकर सरकार का बीजेपी से सवाल
Source : News State Bihar Jharkhand