कहते हैं कि हुनर सीखने और पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती है. इसी कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है झारखंड के शिक्षामंत्री (Education Minister) जगरनाथ महतो (Jagarnath Mahato) ने. जी हां एक राज्य का शिक्षा मंत्री जो सिर्फ मैट्रिक पास है उसने ग्यारहवीं की क्लास में एडमिशन लिया है. आपको बता दें कि मौजूदा समय जगरनाथ महतो की उम्र 53 साल है और इस उम्र में उन्होंने एक बार फिर से पढ़ाई करने का निर्णय लिया है. शिक्षामंत्री (Education Minister) ने सोमवार को बोकारो के नावाडीह के देवी महतो इंटर कॉलेज में 11वीं क्लास में एडमिशन लिया है. आपको बता दें कि इसी साल जनवरी में जब हेमंत सोरेन के नेतृत्व में उनकी पार्टी की सरकार बनी तो उन्हें शिक्षामंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई. जगरनाथ के शिक्षामंत्री पद पर बैठते ही विरोधियों ने इस बात को लेकर आवाज उठानी शुरू कर दी कि जिसकी शिक्षा सिर्फ मैट्रिक तक ही हो वो कैसे शिक्षा मंत्रालय संभाल सकता है.
विरोधियों की इस मुहीम को देखकर जगरनाथ हतोत्साहित नहीं हुए बल्कि उन्होंने इस विरोध को ही अपनी ताकत बनाई और 53 साल की उम्र में 11वीं क्लास में एडमिशन ले लिया. आपको बता दें कि ऐसा नहीं है कि झारखंड में सिर्फ जगरनाथ महतो ही दसवीं पास मंत्री हैं बल्कि इस कतार में और भी कई बड़े नाम हैं. आपको बता दें कि जगरनाथ महतो ने साल 1995 में मैट्रिक पास किया था उसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी. शिक्षा मंत्री बनने के बाद आए दिन लोग दबी जुबान में अक्सर यह मुद्दा उठा ही देते थे के दसवीं पास व्यक्ति कैसे शिक्षा मंत्रालय का कार्यभाल संभालेगा.
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गरीबी और अशिक्षा बड़ी सबसे बड़ी बाधा
जगरनाथ महतो ने 11वीं क्लास में एडमिशन लेने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि साल 1995 में में उन्होंने किसी तरह से 10वीं पास किया था. परिवार की आर्थिक स्थिति बदहाली पर थी. मेरे अलावा परिवार मे 4 भाई-बहन और थे सभी भाई बहनों को सिस्टमेटिक तरीके से पढ़ा पाना पिताजी के लिए संभव नहीं था. प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई शुरू तो की लेकिन मैट्रिक पास करने से पहले ही रुक गई तब तक झारखंड के अलग राज्य की मांग का आंदोलन शुरू हो चुका था और मैं उस सफल आंदोलन का हिस्सा रहा हूं.
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जानिए 53 की उम्र में क्यों लिया एडमिशन
जब शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो से मीडिया ने ये सवाल पूछा तब उन्होंने जवाब देते हुए बताया कि, जब शिक्षा वो मंत्री पद की शपथ ले रहे थे, तभी कुछ व्हाइट कालर लोगों ने मेरी शैक्षणिक योग्यता को लेकर छींटाकशी की. उन्होंने बताया कि वो लोग अंग्रेजी बोलने वाले थे, शायद उन्हें यह बात नहीं मालूम थी कि लोकतंत्र में मंत्री बनने के लिए जनता का निर्वाचित प्रतिनिधि होना आवश्यक है इसके लिए संविधान ने अभी तक कोई शैक्षणिक योग्यता तय नहीं की है, तभी मुझे लगा कि इन्हें जवाब देना चाहिए और मैंने इस उम्र के बावजूद आगे की पढ़ाई पूरी करने का निर्णय लिया.
Source : News Nation Bureau