PLFI सरगना दिनेश गोप पर बड़ा खुलासा हुआ है. NEWS STATE से खास बातचीत में ADG अभियान संजय लाटकर ने जानकारी दी कि दिनेश गोप नाबालिग बच्चों को गुमराह कर उन्हें ग्रुप में शामिल करता था. वहीं, झारखंड के नक्सल परिदृश्य को देखे तो नक्सली और स्प्लिंटर ग्रुप की कोई विचारधारा नहीं है. असामाजिक तत्व इकट्ठा होकर इस तरह के संगठन चला रहे थे. कम उम्र के बच्चों को गुमराह करना आसान होता है और इसलिए बच्चों को ले जाकर काम करवाते थे और उन्हें अपने ग्रुप में शामिल करते थे. इसके बाद इसका आपराधिक संगठन आसानी से उगाही करता था और अपने मकसद को अंजाम देता था.
मिली जानकारी के अनुसार दिनेश गोप का उद्देश्य किसी भी प्रकार से अपने मकसद को हासिल करना था. जहां खनन होता है, उन क्षेत्रों में ऑर्गेनाइज्ड क्रिमिनल के साथ मिलकर ये वारदात को अंजाम देते थे. 3 साल की कार्रवाई में PLFI संगठन कमजोर हुआ है. इसके संगठन में बहुत कम लोग बचे हैं. अन्य राज्यों में ये सिर्फ कागज पर हैं. आपको बता दें कि दिनेश गोप पर 150 से ज्यादा मामले दर्ज हैं.
दिनेश गोप कैसे बना PLFI सुप्रीमो?
- दिनेश गोप का चयन सेना की नौकरी के लिए हुआ था.
- सेना की ओर से ज्वाइन करने के लिए उसे पत्र भी भेजा गया था.
- गांव के दबंगों ने पत्र को कभी उसके घर नहीं पहुंचने दिया.
- दबंगों के करतूत का पता उसके भाई सुरेश गोप को हुआ.
- सुरेश गोप ने दबंगों के खिलाफ बगावत करनी शुरू कर दी.
- सुरेश गोप का संबंध नक्सलियों से बताया जाता रहा है.
- इस बीच 2000 में पुलिस की गोली से सुरेश गोप की मौत हो गई.
- भाई की मौत के बाद दिनेश गोप उड़ीसा भाग गया.
- कुछ दिन बाद दिनेश गोप उड़ीसा से वापस लौटा.
- अब दिनेश गोप का नाम और काम दोनों बदल चुका था.
- अब वो गांव का दिनेश नहीं, बल्कि गिरोह का सरगना बन गया.
- 2001 में भाकपा माओवादी संगठन से अलग होकर अपना अलग दस्ता बनाया.
- गिरोह की सक्रियता सिलादोना और मारंगहादा तक बढ़ी.
- गिरोह ने जल्द ही मारंगहादा को अपने प्रभाव क्षेत्र में ले लिया.
- 2006 में इस दस्ते का विलय जेएलटी में हो गया.
- 20 जुलाई 2007 को इस हथियारबंद दस्ते को एक नया नाम मिला PLFI.
HIGHLIGHTS
- PLFI सरगना दिनेश गोप पर बड़ा खुलासा
- NEWS STATE से बोले ADG अभियान संजय लाटकर
- 'नाबालिग बच्चों को गुमराह कर ग्रुप में करता था शामिल'
Source : News State Bihar Jharkhand