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Jharkhand News: अमृतकाल में बूंद-बूंद पानी पर आफत, गंदा पानी पीने को मजबूर चतरा के ग्रामीण

चतरा के बसरिया गांव के ग्रामीण आज भी गड्ढे और तालाबों का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. क्योंकि आजादी के 7 दशक बाद भी इस गांव के लोगों के लिए पीने के पानी की सुविधा नहीं की गई है. हालांकि इस गांव की समस्या सिर्फ पानी नहीं है.

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Jatin Madan
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गंदा पानी पीने को मजबूर ग्रामीण( Photo Credit : फाइल फोटो )

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चतरा के बसरिया गांव के ग्रामीण आज भी गड्ढे और तालाबों का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. क्योंकि आजादी के 7 दशक बाद भी इस गांव के लोगों के लिए पीने के पानी की सुविधा नहीं की गई है. हालांकि इस गांव की समस्या सिर्फ पानी नहीं है बल्कि यहां सड़क और बिजली के लिए भी लोग तरस रहे हैं. आज भी बूंद बूंद पानी के लिए लोग जद्दोजहद कर रहे हैं. यहां चलने के लिए सड़क नहीं पगडंडियां है. यहां तक की रोशनी के लिए बिजली नहीं ढिबिया है. सियासतदान बड़े-बड़े आयोजन कर अपनी उपलब्धियां गिनाते हैं, लेकिन धरातल पर उनकी जनता पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए त्राहिमाम कर रही है.

विकास के दावों की असली सच्चाई... 

चतरा जिले के कर्मा पंचायत के बसरिया गांव के लोग आज भी नदी में गड्ढों के भरोसे जीवन बिता रहे हैं. इन गड्ढों और तालाबों का गंदा पानी पीने को मजबूर हो रहे हैं. इन ग्रामीणों को तो पल पल ये चिंता सताती है कि अगली सुबह दो बूंद पानी नसीब होगी भी या नहीं. पानी की मारा-मारी खत्म हो तब ना दूसरी बुनियादी सुविधाओं के लिए मांग करें. इस गांव में लोगों को एक अदद सड़क भी नसीब नहीं हुई है, ना ही बिजली की सुविधा है. पानी की परेशानी खत्म करने के लिए पीएचडी विभाग ने जलमीनार निर्माण की पहल तो की, लेकिन जलमीनार आज भी अधर में लटका है.

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ना सड़क की सुविधा ना बिजली की व्यवस्था

गांव के इर्द-गिर्द के गांवों की हालत ऐसी बदतर नहीं है. सरकार सिर्फ इसी गांव पर अपनी नजर-ए-इनायत नहीं कर रही. जिसका खामियाजा ग्रामीण भुगत रहे हैं. बात सड़क की करें तो हालत इतनी खराब है कि यहां के नौनिहाल बरसात के दिनों में खेतों के पगडंडियों के सहारे स्कूल जाते हैं. हैरानी तब और होती है जब सालों से चल रही समस्या पर स्थानीय जनप्रतिनिधि भी ध्यान नहीं देते. वो जनप्रतिनिधि जो इन्हीं समस्याओं के हल के लिए चुनकर विधानसभा और लोकसभा में जाते हैं. हालांकि जब इन असुविधाओं को लेकर कर्मा पंचायत की मुखिया से बात की गई तो उन्होंने जल्द ही समस्याओं के निताज का आश्वासन दिया. वहीं, पेयजल की समस्या को लेकर कार्यपालक अभियंता ने भी समस्या से जल्द निजात मिलने की बात कही.

आश्वासन तो मिल गया है, लेकिन ऐसा भी तो नहीं है कि पहली बार आश्वासन का लॉलीपॉप थमाया गया है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इस आश्वासन पर सुनवाई कब तक होती है.

रिपोर्ट : विकास

HIGHLIGHTS

  • अमृतकाल में बूंद-बूंद पानी पर आफत
  • गंदा पानी पीने को क्यों मजबूर हैं ग्रामीण?
  • विकास के दावों की असली सच्चाई... 
  • ना सड़क की सुविधा ना बिजली की व्यवस्था
  • क्यों विकास से अछूता है बसरिया गांव?

Source : News State Bihar Jharkhand

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