झारखंड में चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बाद से बेशक झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में सियासी भूचाल आ गया हो. लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी अब फुल एक्शन मोड में हैं. उन्होंने पूर्व सीएम चंपई सोरेन के प्रभाव को कम करने के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दिया है. इसके लिए राजनीतिकार ऐसे कदम उठा रहे हैं जिसके तहत संगठन को मजबूत किया जा रहा है.
अब होगा चंपई के इलाके में ही 'बड़ा खेला'
झामुमो अब अपनी कमर कस चुकी है. दल ने नए सिरे से चंपई सोरेन के गृहक्षेत्र सरायकेला में कोल्हान प्रमंडल के तमाम कद्दावर नेताओं को मैदान उतार दिया है. हेमंत सरकार के कैबिनेट मंत्री रामदास सोरेन और दीपक बिरुवा समेत सिंहभूम की सांसद जोबा मांझी और स्थानीय विधायकों को इसका जिम्मा सौंपा गया है. ये नेता क्षेत्र में कैंपिंग कर रहे हैं और हर मोर्चों को दुरुस्त करने में जुटे हुए हैं, जिसमें उनको सफलता भी मिल रही है.
बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाल ही में स्थानीय कमेटी के साथ रांची में एक बैठक ली थी, जिसमें उन्होंने पूरे घटनाक्रम पर फीडबैक लिया था. साथ ही रणनीतिकारों को निर्देशित भी किया था. झामुमो के महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय लगातार इसकी निगरानी करने में जुटे हैं.
यहां भी हो रही पुरजोर कोशिश
झामुमो स्वशासन व्यवस्था के प्रमुखों के हितों के लिए भी पुरजोर कोशिश में जुटी है. पार्टी को इनका महत्व अच्छे से मालूम है. इनकी पैठ समाज में काफी गहरी है. इन्हें जोड़े रखने के लिए तालमेल और समन्वय तेज किया गया है. राज्य सरकार तो इनके लिए कई योजनाएं भी लागू कर चुकी है.
दरअसल, चंपई सोरेन भाजपा में शामिल होने के बाद लगातार भावनात्मक मुद्दों को उछालने में जुटे हैं. उनके निशाने पर आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के प्रमुख हैं. दल छोड़ने के बाद उन्होंने इसे आजमाया और हाल ही में संताल परगना के दौरे पर भी उन्होंने ऐसे प्रमुखों के मन टटोले.
प्रदेश में मचा सियासी भूचाल
बता दें कि झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाला है. इसे लेकर प्रदेश में सियासी भूचाल मचा हुआ है. पक्ष-विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. अक्टूबर महीने में प्रदेश में विधानसभा चुनाव का मतदान होने वाला है. प्रदेश में कुल 87 विधानसभा सीटें हैं. एनडीए ने अब तक सीएम चेहरा को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है. वहीं, इंडिया गठबंधन की तरफ से हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री फेस होंगे.