Jharkhand Politics: झारखंड में 'वन नेशन वन इलेक्शन' पर रार, जानिए क्या हैं फायदे और नुकसान

देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. केंद्र ने 'एक देश एक चुनाव' को लेकर एक समिति का गठन किया है और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है.

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Jatin Madan
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फाइल फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

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देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. केंद्र ने 'एक देश एक चुनाव' को लेकर एक समिति का गठन किया है और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है. ये समिति इस मुद्दे पर विचार करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. इसके बाद ही ये तय होगा कि आने वाले समय में क्या सरकार लोकसभा चुनाव के साथ ही सभी राज्यों में विधानसभा के चुनाव भी कराएगी या नहीं. हालांकि अभी सिर्फ कमेटी का गठन हुआ है, लेकिन झारखंड में इसपर सियासत ने रफ्तार पकड़ ली है. जहां JMM इसको लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमलावर हो गई है. JMM महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य का कहना है कि केंद्र की ओर से बनाई गई कमेटी संविधान में बदलाव के लिए बनाई गई है.

'वन नेशन वन इलेक्शन' पर रार

JMM भले ही केंद्र पर संविधान में बदलाव की साजिश रचने का आरोप लगा रही है, लेकिन बीजेपी वन नेशन वन इलेक्शन के फायदे गिनाते थक नहीं रही है. बीजेपी का कहना है कि ये एक इंटेलिजेंट डिसीजन है. दरअसल वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर करीब 40 साल पहले यानी 1983 में पहली बार चुनाव आयोग ने ही सुझाव दिया था, लेकिन सुझाव के 40 साल बाद 2023 में सरकार ने इस पर कोई पहल की है. एक देश एक चुनाव को लेकर पक्ष और विपक्ष के अपने-अपने तर्क हैं. इससे कुछ फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी हैं.

'वन नेशन वन इलेक्शन' के फायदे

सबसे पहले बात फायदों की करते हैं. बार-बार होने वाले चुनाव से पैसों की बर्बादी होती है.वन नेशन वन इलेक्शन से बार-बार चुनाव कराने का झंझट खत्म हो जाएगा. एक साथ चुनाव होने से बार-बार सरकारी विकास कार्यों में रुकावट नहीं आएगी. कालेधन और भ्रष्टाचार पर रोक लगने में मदद मिलेगी. पूरे देश में चुनावों के लिए एक ही वोटर लिस्ट बनाई जाएगी. यानी EC के लिए भी चुनाव कराना आसान होगा.

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'वन नेशन वन इलेक्शन' के नुकसान 

हालांकि एक साथ चुनाव कराने के फायदे तो हैं, लेकिन नुकसान भी काफी है. इससे राष्ट्रीय- क्षेत्रीय पार्टियों में मतभेद ज्यादा बढ़ेंगे. राष्ट्रीय पार्टियों को बड़ा फायदा पहुंच सकता है. छोटे दलों को नुकसान होने की संभावना ज्यादा होती है. एक साथ चुनाव से नतीजों में देरी भी हो सकती है. इसके अलावा प्रक्रिया से संवैधानिक और ढांचागत चुनौतियां भी सामने आएंगी. 

जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं वैसे ही एक साथ चुनाव करवाने के फायदे और नुकसान दोनों है. अब कमेटी के गठन के साथ ही इसपर सियासत तेज हो गई है, लेकिन बयानबाजी के बीच इंतजार है कमेटी के रिपोर्ट का जिसके आधार पर फैसला लिया जाएगा.

रिपोर्ट : कुमार चंदन

HIGHLIGHTS

  • 'वन नेशन वन इलेक्शन' पर रार
  • झारखंड में पक्ष-विपक्ष में आर-पार
  • JMM के निशाने पर केंद्र सरकार
  • 'एक देश एक चुनाव' से होगी नैया पार?

Source : News State Bihar Jharkhand

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