श्रावणी माह पहली सोमवारी के इस पवित्र माह में देवनगरी बासुकीनाथ धाम में जलार्पण करने वाले कावड़ियों की भीड़ उमड़ पड़ी है. सुबह 3 बजे से 12 बजे तक करीब 40 हज़ार से ज्यादा कावरियों ने जलार्पण किया. पैदल कावड़ियों के साथ काफी संख्या में डाक कावड़िया भी जलार्पण बासुकीनाथ धाम में किया. मंदिर के पट खुलते ही बोलबम की जयकारों से गूंज उठा. पहले सरकारी पूजा हुई फिर अर्धा सिस्टम के जरिये जलार्पण शुरू कराया गया. पूरा बासुकीनाथ धाम केसरियामय हो गया था. सोमवार का दिन कावड़ियों के लिए विशेष महत्व रखता है.
इसलिए शिव भक्त श्रद्धालु बिहार के सुल्तानगंज से कावड़ में गंगाजल लेकर 105 किमी पैदल चलकर पहले देवघर फिर फौजदारी बाबा बासुकीनाथ में जलार्पण करने पहुंचे. वहीं दूसरी तरफ डाकबम भागलपुर के बरारी घाट से गंगाजल लेकर हंसडीहा होते हुए 24 घंटे के भीतर बासुकीनाथ स्थित ज्योतिर्लिंग में जलार्पण करने भारी संख्या में पहुंचते हैं.
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इसके अलावे स्थानीय शिवभक्त श्रद्धालु भी इस पवित्र माह में अपने मनवांक्षित फल की प्राप्ति हेतु जलार्पण करने बासुकीनाथ धाम पहुचें. प्रशासन के लिए भी पहली सोमवारी सबसे बड़ी चुनौती थी. इसको लेकर प्रशासन पूरी तरह तैयार था. भीड़ को देखते हुये सोमवार और मंगलवार को अर्धा सिस्टम लागू किया गया. साथ ही अलग अलग जलार्पण काउंटर बनाये गए जिसमे गर्वगृह का लाइव स्क्रीन लगा हुआ है. जिसे कावरिया अपने जल को शिवलिंग में जल को अर्पित कर देख सकते है. कावरियों के विशेष ख्याल रखते हुए जिला प्रशासन ने अस्थायी स्वास्थ्य शिविर, एम्बुलेंस, ठहरने के लिए टेंट सिटी, सौचालय और स्नान की बेहतर सुविधा मुहैया करायी गई है. साथ ही सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारी संख्या में फोर्स की तैनाती मैजिस्ट्रेट के साथ की गई है.
जिसमे कुछ सुरक्षा के जवान सिविल ड्रेस में रहकर आने जाने वाले पर ऐतियातन तौर पर विशेष नज़र रख सकेंगे. इसके अलावे 350 सीसी टीवी और ड्रोन कैमरे से भी गर्वगृह से लेकर मेले तक नजर प्रशासन लगा रखा है. इधर शिवगंगा में स्नान करने वाले कावरियों की सुरक्षा के लिये एनडीआरएफ की टीम एवं गोताखोर को लगा रखा है ताकि किसी भी अनहोनी घटना से रक्षा की जा सके. इधर सोमवार को देखते हुए खुद जिले के एसपी वाई एस रमेश, डीसी राजेश्वरी बी, एसडीओ राकेश कुमार, सभी एसडीपीओ और डीएसपी सहित कई विभाग के पदाधिकारियों को मंदिर में तैनात मोर्चा संभाल रहे हैं. ताकि किसी प्रकार से कोई समस्या ना हो और कावरिया को शांति पूर्वक जलार्पण कर सकें.
सोमवारी का महत्व
मनोज पंडा के मुताबिक श्रावणी माह में सोमवारी का खास महत्व रहता है. समुद्र मंथन के वक्त भोले नाथ ने संसार के लोगों के जीवन रक्षा के लिए निकले विष को अपने गले मे धारण कर लिया था. उसी वक्त ब्रम्हा ने भगवान शिव को जहर से राहत देने के लिए गंगा जल अर्पित किया. भगवान श्री राम ने भी अपनी मनोकामना सिद्धि के लिए कावड़ में जल भर कर शिवलिग में जलार्पण की थी.
ये भी कहा जाता है कि जो स्त्री या पुरुष सोमवार को भोलेनाथ के शिवलिंग में जलार्पण करते हैं उसकी सभी मनोकामनायें पूरी होती हैं. इस लिए श्रावणी के खास दिन में कुंवारी कन्या अपने मनोवांक्षित फल की प्राप्ति के लिए भोले नाथ का व्रत रख कर पूजा अर्चना करती है.
Source : Bikash Prasad Sah